महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच, शिवसेना की कुर्सी बचाने की कोशिश तेज, दल और विधायकों से बैठकों का दौर शुरू
महाराष्ट्र में सियासी संकट गहराता ही जा रहा है। शिवसेना की गठबंधन सरकार की राहें महाराष्ट्र में शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुश्किल कर दी है। एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बीच मनमुटाव की खबरें एक महीने पहले आयी थी।
महाराष्ट्र में सियासी संकट गहराता ही जा रहा है। शिवसेना की गठबंधन सरकार की राहें महाराष्ट्र में शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुश्किल कर दी है। एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बीच मनमुटाव की खबरें एक महीने पहले आयी थी। तब यह ज्यादा तूल नहीं पकड़ पायी थी लेकिन अब एक महीने में एकनाथ शिंदे को सीरियस न लेना शिवसेना को भारी पड़ रहा है। बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट पैदाकर दिया है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना और सत्तारूढ़ एमवीए के नेताओं के भीतर "बढ़ती चिंता" के बारे में चेतावनी दी थी। अब एकनाथ शिंदे के बागी तेवर से महाराष्ट्र में सियासी भूचाल की आहट तेज हो गई है। एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है। वह चाहते थे कि शिवसेना भाजपा के साथ अपना गठबंधन फिर से जोड़ ले।
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बढ़ते राजनीतिक संकट को देखते हुए दोनों खेमों में हलचल तेज हो गयी हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे-पाटिल राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिलने सिल्वर ओक में हैं। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी पार्टी के सभी विधायकों और मंत्रियों की मीटिंग बुलाई है।
राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर कांग्रेस एमवीए गठबंधन और महाराष्ट्र सरकार में अपनी जगह बचाने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने अब स्थिति से निपटने के लिए मुंबई में कई बैठकों की योजना बनाई है। सुबह 11 बजे: कांग्रेस नेताओं/विधायकों के साथ बैठक होगी फिर दोपहर बजे सीएम उद्धव ठाकरे के साथ बैठक होगी। 1 बजे के बाद ठाकरे की शरद पवार से मुलाकात होगी।
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वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि वह जिस सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं वह संकट में है। बागी मंत्री एकनाथ शिंदे पार्टी में वापस आएंगे। ठाकरे ने शिवसेना नेताओं की एक बैठक में कहा, "एकनाथ शिंदे के साथ बातचीत जारी है। मैंने उनसे बात की। वह लौट आएंगे। राकांपा भी हमारे साथ है।"
सूत्रों ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने उनसे पुनर्विचार करने और वापस लौटने को कहा था। शिंदे ने दावा किया कि अभी तक उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है और न ही किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं और उन्होंने पार्टी की बेहतरी के लिए यह कदम उठाया है।
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