Vanakkam Poorvottar: Manipur में शांति स्थापित होने की आस बढ़ी, मेइती और हमार समुदायों के बीच सरकार ने कराया समझौता
जहां तक शांति समझौते की बात है तो हम आपको बता दें कि अधिकारियों ने बताया है कि असम के कछार में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक प्रतिष्ठान में हुई बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह समझौता हुआ।
मणिपुर के हालात सामान्य होने के लिए पूरा देश जहां लंबे समय से प्रार्थना कर रहा है वहीं राज्य और केंद्र सरकार भी तमाम उपायों के माध्यम से कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल करने की कोशिशों में लगी हुई हैं। यह कोशिशें तब रंग लाईं जब मेइती और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले में शांति बहाली के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की। देखा जाये तो एक जिले में शांति पर बात बनना कोई कम उपलब्धि नहीं है। जब हर जगह अंधेरा छाया हुआ हो तो रोशनी की एक किरण भी पूरे क्षेत्र में उजाला कर सकती है। इसलिए देश को उम्मीद है कि जिरीबाम जिले में शांति स्थापित होने के बाद पूरे राज्य में भी शांति और समृद्धि आयेगी।
जहां तक शांति समझौते की बात है तो आपको बता दें कि अधिकारियों ने बताया है कि असम के कछार में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक प्रतिष्ठान में हुई बैठक में दोनों पक्षों के बीच यह समझौता हुआ। अधिकारियों ने बताया कि बैठक का संचालन जिरीबाम जिला प्रशासन, असम राइफल्स और सीआरपीएफ ने किया। बैठक में जिरीबाम जिले के थाडौ, पैते और मिजो समुदायों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। बैठक के बाद इन समुदायों के प्रतिनिधियों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘बैठक में यह संकल्प लिया गया कि दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने तथा आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में कार्यरत सभी सुरक्षा बलों को पूर्ण सहयोग देंगे।’’ बताया जा रहा है कि अगली बैठक 15 अगस्त को होगी। हम आपको बता दें कि पिछले वर्ष मई से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जारी जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
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हम आपको यह भी बता दें कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार शांति वार्ताओं की दिशा में काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा को बताया, “हम विधायकों और अन्य सदस्यों की सहायता से शांति वार्ताओं की दिशा में भरसक प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, “कानून व्यवस्था की गंभीर स्थिति को देखते हुए गिरफ्तारी समेत कठोर कदम उठाने के नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।” मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ मुद्दों पर राजनीति की जा रही है, जिससे स्थिति जटिल हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, “कुछ लोग विभिन्न मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं, जिससे तत्काल निपटा जाना चाहिए। मैं सभी से ऐसा न करने की अपील करता हूं।”
राज्य में 38,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद हिंसा होने के बारे में कांग्रेस विधायक रणजीत सिंह के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, "उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जांच कर रहे हैं। जांच के दौरान उन खामियों की पहचान की जाएगी, जो हिंसा की वजह रही हैं। जांच निष्कर्षों के आधार पर जवाबदेही तय की जाएगी।" कांग्रेस विधायक सूरजकुमार ओकराम के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "अब तक हिंसा में 226 लोग मारे गए हैं। भीड़ जैसी स्थितियों के कारण कुछ मामलों में दोषियों की गिरफ्तारी में देरी हुई है। समूहों द्वारा सुरक्षा बलों के काम में बाधा डालने के मामले भी सामने आए हैं।”
मणिपुर का बजट
हम आपको यह भी बता दें कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस सप्ताह बुधवार को वित्त वर्ष 2024-25 का 34,899 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इसमें कृषि और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के पुनर्वास पर जोर दिया गया है। वित्त विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री ने कहा कि कि राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए कृषि महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘कई प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है। अभी और भुगतान किया जाना है। यह सुनिश्चित करने के प्रयास चल रहे हैं कि सभी खेती योग्य भूमि किसानों के लिए सुलभ हो।’’ उन्होंने बजट में मत्स्य पालन, बागवानी, पशुपालन और जैविक फसलों सहित कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 883 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘विस्थापित व्यक्तियों के लिए राहत शिविरों के संचालन के लिए 101.75 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज को मंजूरी दी गई। राहत और पुनर्वास योजनाओं के लिए 209.45 करोड़ रुपये आवंटित किये गये। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने 3,000 विस्थापित व्यक्तियों के लिए अस्थायी आश्रयों को लेकर 145.18 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है।’’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हाल ही में एक केंद्रीय टीम के निरीक्षण के बाद ओलावृष्टि से हुए नुकसान के मुआवजे का प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंप दिया गया है।
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