लोकसभा में सदस्यों ने ई-सिगरेट के साथ अन्य तंबाकू उत्पादों पर भी प्रतिबंध की मांग की
मंत्री के जवाब के बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक में संशोधन की मांग की और एक उपबंध में मध्य प्रदेश की जगह पश्चिम बंगाल करने पर जोर दिया। राय ने इस विषय पर मत विभाजन की मांग की।
नयी दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को ई-सिगरेट पर प्रतिबंध वाले एक विधेयक पर चर्चा के दौरान अधिकतर विपक्षी सदस्यों ने इसके साथ ही संपूर्ण तंबाकू उत्पादों पर भी प्रतिबंध की मांग की, हालांकि सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इससे करोड़ों लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) विधेयक, 2019 चर्चा के लिए रखा।
Discussion onThe Prohibition of Electronic Cigarettes (Production, Manufacture, Import, Export, Transport, Sale, Distribution, Storage and Advertisement) Bill, 2019 in #LokSabha #WinterSession #शीतकालीनसत्र https://t.co/dGgA90u8je pic.twitter.com/qww7ZrT9iN
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) November 26, 2019
यह विधेयक कानून बनने के बाद हाल ही में इस संबंध में जारी अध्यादेश की जगह लेगा। केंद्र सरकार ने लोगों, खासकर युवाओं को ई-सिगरेट से होने वाले सेहत संबंधी खतरों का उल्लेख करते हुए इन उत्पादों पर रोक लगाने के लिए सितंबर महीने में अध्यादेश जारी किया था। सरकार ने इसके साथ ई-हुक्के को भी प्रतिबंधित किया है। विधेयक में कहा गया है कि पहली बार अपराध के मामले में एक वर्ष तक कैद अथवा एक लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों; और अगले अपराध के लिए तीन वर्ष तक कैद और पांच लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों लगाया जा सकता है। ई सिगरेट का भंडारण भी दंडनीय होगा और इसके लिये छह महीने तक की सजा या 50 हजार रूपये तक जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ई-सिगरेट ऐसी इलेक्ट्रानिक युक्तियां हैं जो अंत: श्वसन के लिये निकोटीन और महक सहित या उसके बिना किसी पदार्थ को गर्म करती हैं जिसका उपयोगकर्ता धूम्रपान के लिये इस्तेमाल करता है। इसके तहत सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन परिदान प्रणाली, हुक्का बार और इस प्रकार की अन्य युक्तियां आती हैं। इसमें कहा गया है कि उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य से यह प्रदर्शित होता है कि ई- सिगरेट का उपयोग सक्रिय उपयोगकर्ता के लिये जोखिम वाला है। ई-सिगरेट के घोल और उत्सर्जन को नुकसानदायक माना जाता है जो जोखिम वाला है। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इसमें प्राधिकृत अधिकारी को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों के पैकेज रखे जाने वाले परिसर में प्रवेश करने और तलाशी लेने तथा ऐसे स्टाकों एवं उनके संघटकों को जब्त करने के लिए सशक्त करता है।
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विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार को तंबाकू वाले सिगरेट और ई-सिगरेट में फर्क नहीं करना चाहिए। अगर वह तंबाकू के सेवन पर अंकुश लगाना चाहती है तो उसे सभी तरह के सिगरेट पर पाबंदी लगानी चाहिए। द्रमुक के सेंथिल कुमार ने कहा कि ई-सिगरेट पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की बजाय इसे तंबाकू निषेध से जुड़े कानून के दायरे में लाया जा सकता था।उन्होंने कहा कि अगर प्रतिबंध लगाना है तो सभी तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। बीजू जनता दल की शर्मिष्ठा सेठी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध से युवाओं को फायदा होगा।वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एम. भरत ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध की पैरवी करते हुए कहा कि युवाओं को ई-सिगरेट का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है और ऐसे में एक युवा होने के नाते वह इस कदम का पूरा समर्थन करते हैं।तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने भी ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के कदम का समर्थन किया।एआईएमआईएम के इम्तियाज जलील ने तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध की मांग करते हुए सदन में गुटखे का पैकेट दिखाने का प्रयास किया और कहा कि वह इसे जांच के लिए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को देना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि इस तरह के उत्पाद कितनी आसानी से उपलब्ध हैं। हालांकि आसन से उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। भाजपा के जगदंबिका पाल, रवि किशन, बसपा के रितेश पांडे, कांग्रेस के एमके विष्णु प्रसाद, बसपा के मलूक नागर और कई अन्य सदस्यों ने भी इस चर्चा में भाग लिया।
संसद ने राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
नयी दिल्ली। संसद ने मंगलवार को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें अमरावती, भोपाल, जोरहट और कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थानों (एनआईडी) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है।
राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2019 पर मतदान pic.twitter.com/FEVzXshPAQ
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) November 26, 2019
लोकसभा में वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से अमरावती (आंध्र प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश), जोरहट (असम) और कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के राष्ट्रीय डिजाइन संस्थानों (एनआईडी) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है ताकि इन संस्थानों के छात्रों को डिग्री प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि हम भारत को डिजाइन के क्षेत्र में केंद्र बनाना चाहते हैं और यह विधेयक इस दिशा में एक प्रयास है। मंत्री के जवाब के बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक में संशोधन की मांग की और एक उपबंध में मध्य प्रदेश की जगह पश्चिम बंगाल करने पर जोर दिया। राय ने इस विषय पर मत विभाजन की मांग की। तृणमूल सांसद का संशोधन 23 के मुकाबले 93 मतों से नामंजूर हो गया।
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