महबूबा मुफ्ती की बेटी ने पाकिस्तान, हुर्रियत कान्फ्रेंस के साथ बातचीत की वकालत की
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कश्मीर मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए पाकिस्तान और हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की रविवार को वकालत की। इल्तिजा मुफ्ती ने इस क्षेत्र को एक आर्थिक केंद्र और मध्य एशिया एवं भारत के बीच एक प्रवेश द्वार बनाने के लिए जम्मू कश्मीर की सीमाओं को खोलने और स्व-शासन के कार्यान्वयन का भी सुझाव दिया।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कश्मीर मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए पाकिस्तान और हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की रविवार को वकालत की। इल्तिजा मुफ्ती ने इस क्षेत्र को एक आर्थिक केंद्र और मध्य एशिया एवं भारत के बीच एक प्रवेश द्वार बनाने के लिए जम्मू कश्मीर की सीमाओं को खोलने और स्व-शासन के कार्यान्वयन का भी सुझाव दिया। पाकिस्तान और हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के लोग राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक हैं। जम्मू कश्मीर मुद्दे को सभी हितधारकों को साथ लेकर हल करने की जरूरत है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चाहती है कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस हुर्रियत का स्थान लें। उन्होंने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला में बदलना चाहता है क्योंकि वे ‘‘विपक्ष मुक्त भारत’’ चाहते हैं। मुफ्ती ने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) मानव समर्थक है और लोगों की समस्याओं का समाधान चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण (राज्य) है और मध्य एशिया से उसकी कई चीजें मिलती जुलती हैं।
सरकार को अवसर का उपयोग करना चाहिए और आर्थिक एकीकरण के लिए सीमाओं को अप्रासंगिक बनाने के साथ ही स्व-शासन, व्यापार और लोगों की आवाजाही की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।’’ उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आगामी शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसे कश्मीर में आयोजित करना चाहिए था। मुफ्ती ने यहां एक सम्मेलन में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर (की सीमा) को खोल दें और इसे मध्य एशिया तथा भारत के बीच एक आर्थिक केंद्र और प्रवेश द्वार बनने दें।’’
उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सहित मुख्यधारा के पांच राजनीतिक दलों के गठबंधन- पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन (पीएजीडी) अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है और यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोगों ने इसके साथ अपनी उम्मीदें बांध रखी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पीएजीडी को अधिक सक्रिय, अधिक सतर्क होना चाहिए और पार्टी के हितों को दरकिनार करके वास्तविक अर्थों में एकता पर काम करना चाहिए। हमारे विशेष दर्जा और पहचान पर हमला हो रहा है और हमें इसकी रक्षा करनी है।’’
मुफ्ती इससे सहमत नहीं थीं कि पीएजीडी ‘वेंटिलेटर’ पर है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर से 10 लाख सुरक्षाकर्मियों को बाहर निकालो, आपको देखेंगे कि वेंटिलेटर पर कौन है।’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि उसके परिवार को झुकाने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जब पीएजीडी की बैठक होती है, मेरी मां या 75 वर्षीय मेरी नानी, को समन मिल रहे हैं। मेरी नानी को पिछले दो साल से पासपोर्ट देने से भी इनकार किया जा रहा है।’’
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अनुच्छेद 370 को विकास और महिलाओं एवं हाशिये पर रहने वाले वर्गों को अधिकार देने में अवरोधक के रूप में पेश करके देश में दुष्प्रचार अभियान शुरू करने का आरोप लगाया। वर्ष 2017 में एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर मानव सूचकांक 0.68 था, जो गुजरात से अधिक था और ‘‘हम जीवन प्रत्याशा, महिला साक्षरता और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में नंबर एक थे।
आज हमारी बेरोजगारी दर 56 प्रतिशत है, भर्ती प्रक्रिया में घोटाला हुआ है और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि लोगों की भलाई के लिए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने का दावा निराधार है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘उनका कोई अच्छा इरादा नहीं है, क्योंकि वे कश्मीर को एक सैन्य, एक कानून व्यवस्था और एक धार्मिक समस्या के रूप में देखते हैं।
चूंकि वे इस मुद्दे को धार्मिक चश्मे से देखते हैं, इसलिए वे जिस समाधान को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, वह है जनसांख्यिकी आधार को बदलना और लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर करना।’’ मुफ्ती ने दावा किया कि भाजपा सरकार इस वास्तविकता को नजरअंदाज करते हुए लोगों को दबाने की कोशिश कर रही है कि कश्मीर एक मानवीय और राजनीतिक मुद्दा है तथा यह एक सशक्त भावना है, जिसके समाधान की जरूरत है।
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