श्रीनगर में कई स्कूल खुले, कश्मीर में जनजीवन सामान्य की तरफ बढ़ रहा
रविवार को श्रीनगर से बनिहाल रेल सेवा भी बहाल कर दी गई है। अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने से कुछ दिन पहले घाटी में तीन अगस्त को सुरक्षा कारणों से ट्रेन सेवा निलंबित कर दी गई थी।
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में करीब तीन महीने के बाद मंगलवार को स्कूल खुले। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने के बाद से स्कूल बंद थे। घाटी में जनजीवन भी सामान्य की तरफ बढ़ रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
Baseer Khan,Divisional Commissioner,Kashmir:The situation is getting better every passing day.Traffic flow has increased, trade&business have improved. Power transmission lines that were damaged in heavy snowfall have almost been restored barring couple of areas. #JammuAndKashmir pic.twitter.com/pKOjfP8hgn
— ANI (@ANI) November 19, 2019
उन्होंने बताया कि घाटी में सार्वजनिक यातायात सेवा बहाल होने के बाद कई निजी स्कूलों ने यह निर्णय लिया है। स्कूल प्रबंधनों ने स्कूल को सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक खोलने का निर्णय लिया है और बच्चों से कहा है कि वह सामान्य कपड़ों में ही स्कूल आएं। स्कूल ड्रेस न पहनें। सोमवार को शहर और घाटी के कई अन्य इलाकों में सार्वजनिक यातायात साधन में बेहद सुधार देखा गया। अधिकारियों ने बताया कि जिले से बाहर और जिले के भीतर यातायात सुविधा में व्यापक सुधार हुआ है। वहीं अधिकारियों ने बताया कि निजी वाहन बिना किसी बाधा के चल रहे हैं।
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रविवार को श्रीनगर से बनिहाल रेल सेवा भी बहाल कर दी गई है। अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने से कुछ दिन पहले घाटी में तीन अगस्त को सुरक्षा कारणों से ट्रेन सेवा निलंबित कर दी गई थी। हालांकि अब भी कुछ इलाकों में बंद का असर है और बाजार खुलने के समय में परिवर्तन देखा गया है। अब यहां सुबह-सुबह दुकानें खुलती हैं और दोपहर तक बंद हो जाती है। हालांकि शहर के सिविल लाइन क्षेत्र में कुछ दुकानें पूरे दिन खुली रहीं। हालांकि घाटी में प्रीपेड मोबाइल सेवा और इंटरनेट सेवा पांच अगस्त से ही बंद है। घाटी के शीर्ष अलगाववादी नेता निषेधात्मक हिरासत में लिए गए हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को विवादित जन सुरक्षा अधिनियम के तहत रखा गया है।
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