Maratha reservation row: भूख हड़ताल तोड़ने को राजी हुए मनोज जरांगे, सरकार को एक महीने का दिया अल्टीमेटम
इस बीच उन्होंने मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए सरकार को एक महीने का समय दिया है। उन्होंने 12 अक्टूबर को मराठा समाज की एक बड़ी बैठक का ऐलान किया है।
मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और उदयन राजे भोसले की मौजूदगी में अपनी भूख हड़ताल तोड़ने पर सहमत हो गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह भूख हड़ताल तोड़ देंगे लेकिन आंदोलन स्थल से नहीं हटेंगे। इस बीच उन्होंने मराठा समुदाय के आरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए सरकार को एक महीने का समय दिया है। उन्होंने 12 अक्टूबर को मराठा समाज की एक बड़ी बैठक का ऐलान किया है।
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इससे पहले एकनाथ शिंदे ने जालना जिले में मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की घोषणा की और आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने सितंबर के पहले सप्ताह में राज्य के जालना जिले में आरक्षण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज में शामिल तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की भी घोषणा की थी। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पुणे के भीमाशंकर मंदिर में मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को साबित कर उन्हें आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।
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वहीं, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को कहा था कि जब तक सरकार महाराष्ट्र में उनके समुदाय को आरक्षण देने का आदेश जारी नहीं करती, तब तक वह अपना अनशन जारी रखेंगे। मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर करीब 40 वर्षीय जरांगे मध्य महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। जरांगे ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं अपना अनशन तब तक जारी रखूंगा, जब तक राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने का आदेश जारी नहीं करती।
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