भारत के प्राचीन दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का प्रकटीकरण पर्यटन में: अजय भट्ट

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यह हमें हमारी साझा विरासत, साझा भविष्य और हमारे ग्रह के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है।’’ बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी पर्यटन (एमआईसीई पर्यटन) ऐसे पर्यटन के संदर्भ में इस्तेमाल होता है जब बड़ा समूह या आयोजन किया जाता है और जिसकी योजना पहले ही बना ली जाती है और लोग एक स्थान पर जुटते हैं।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री अजय भट्ट ने बुधवार को कहा कि भारत के प्राचीन दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सच्ची अभिव्यक्ति पर्यटन में देखने को मिलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश एमआईसीई पर्यटन के लिए ‘मजबूत गतंव्य’ बनकर उभरा है और देश के 60 स्थानों पर जी20 की सफलतापूर्वक बैठक संपन्न हुई है। जी20 बैठकें विभिन्न विषयों पर एक दिसंबर से जम्मू-कश्मी से श्रीनगर से लेकर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में हुईं और इसका समापन नौ-10 सितंबर को नयी दिल्ली में भारत मंडपम में जी20 शिखर सम्मेलन के साथ हुआ। पर्यटन एवं रक्षा राज्यमंत्री भट्ट ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली) के तहत वैश्विक स्तर पर ‘जीवन के लिए यात्रा’ की शुरुआत करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

इस कार्यक्रम का लक्ष्य पर्यटन क्षेत्र है और इसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की साझेदारी में मूर्त रूप दिया जा रहा है। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर पर्यटन मंत्रालय ने प्रगति मैदान में नवनिर्मित भारत मंडपम में यह कार्यक्रम आयोजित किया। भट्ट ने कहा, ‘‘ मैं प्रत्येक यात्रियों, कारोबारियों और सभी नागरिकों से इस कार्यक्रम (ट्रैवल फॉर लाइफ) को अंगीकार करने का अनुरोध करता हूं। विदेश में मौजूद सभी भारतीय मिशन की मैं भारतीय पर्यटन और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में दिए गए योगदान के लिए प्रशंसा करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपकी प्रतिबद्धता एवं कोशिश ने वैश्विक स्तर पर ‘ट्रैवल फॉर लाइफ’ प्रदर्शित करने में अहम भूमिका निभाएगी।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्यटन महज रमणीय स्थलों को देखना भर नहीं है बल्कि उसे अनुभव करना और उनकों समझना है। यह विरासत के साथ जीने और आनंदित होने का अवसर है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्राचीन दर्शन वसुधैव कुटुम्बकम है जो वास्तव में पर्यटन में प्रदर्शित होता है। यह हमें हमारी साझा विरासत, साझा भविष्य और हमारे ग्रह के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है।’’ बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी पर्यटन (एमआईसीई पर्यटन) ऐसे पर्यटन के संदर्भ में इस्तेमाल होता है जब बड़ा समूह या आयोजन किया जाता है और जिसकी योजना पहले ही बना ली जाती है और लोग एक स्थान पर जुटते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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