विधानसभा चुनाव को लेकर अखाड़ा बनी Malegaon Central सीट, कांग्रेस और AIMIM में होगी मुस्लिमों का रहनुमा बनने की जंग

AIMIM
प्रतिरूप फोटो
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Anoop Prajapati । Oct 20 2024 6:47PM

नासिक क्षेत्र के तहत मालेगांव मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। साथ ही यह सीट धुले लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। जो एक अनारक्षित विधानसभा सीट है। यह सीट मुस्लिम बहुल इलाके में आती है। मालेगांव मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने के कारण पार्टियां यहां मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारती है।

महाराष्ट्र के नासिक क्षेत्र के तहत मालेगांव मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। साथ ही यह सीट धुले लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। जो एक अनारक्षित विधानसभा सीट है। यह सीट मुस्लिम बहुल इलाके में आती है। मालेगांव मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने के कारण पार्टियां यहां मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारती है। अब तक यहां से मुस्लिम उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की हैं। इस विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 222,398 है, जो 2019 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार लगभग 78.4% है। 

मालेगांव मध्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 5,560 है, जो कुल मतदाताओं की संख्या के अनुसार 1.96 प्रतिशत है। तो वहीं, अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की बात करें तो उनकी संख्या लगभग 1,248 है जो 0.44% है। इस विधानसभा सीट पर 1978 से 1999 तक निहाल अहमद मौलवी मो. उस्मान का कब्जा रहा। जो पहले तीन बार जनता पार्टी और बाद में बाद बार जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते। 1999 में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में आई। तब से यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 2019 के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के मोहम्मद इस्माइल अब्दुल खालिक ने मालेगांव मध्य विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की।

इस बार समीकरण बदलने की उम्मीद ?

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 2019 में जीत के बाद इस सीट से काफी उम्मीदें होगी। मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण ओवैसी की पार्टी को यहां फायदा मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। कहा जा रहा है कि यदि महाविकास आघाड़ी ने यहां मजबूत उम्मीदवार दिया तो यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस के आसिफ शेख रशीद को हराकर जीत दर्ज की थी। ऐसा भी माना जा रहा है कि यह सीट महाविकास आघाड़ी से कांग्रेस के खाते में जा सकती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की मुस्लिम मतदाता आवैसी और कांग्रेस में से किसे साथ देते हैं। दोनों ही पार्टियां मुस्लिम वोटों का रहनुमा बनने की पुरजोर कोशिश करेंगी। ऐसे में ऊंट किस करवट बैठता है देखने वाली बात होगी।

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