मध्य प्रदेश बना गेहूँ प्रदेश, मुख्यमंत्री बनाम चुनौतियों पर विजय का साल

wheat state
दिनेश शुक्ल । Mar 22 2021 9:51AM

प्रदेश के 4हजार 527 खरीदी केन्द्रों पर 15 लाख 55 हजार 453 किसानों से उनकी समर्थन मूल्य पर क्रय की गई उपज के भुगतान स्वरूप राशि ऑन लाइन उनके खातों में अंतरित की गई। इस वर्ष 2021-21 के लिए प्रदेश में 19 लाख 46 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन कराया था।

भोपाल। कोरोना लॉकडाउन के सन्नाटे के बावजूद मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में समर्थन मूल्य पर एक करोड़ 29 लाख 28 हजार 379 मीट्रिक टन गेहूँ का बम्पर उपार्जन किया गया। यह देश के किसी भी राज्य द्वारा किये गए उपार्जन में सबसे अधिक है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 25 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया गया, जो विगत वर्ष 2018-19 में किए गए भुगतान से लगभग 11 हजार करोड़ रूपये अधिक था। इस वर्ष भी 2021-22 के लिए किसानों ने अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन करा लिया है। उपार्जन का काम इंदौर और उज्जैन में 22 मार्च से और शेष स्थानों पर एक अप्रैल से प्रारंभ होगा।

 

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तुरंत ऑन लाइन भुगतान

प्रदेश के 4हजार 527 खरीदी केन्द्रों पर 15 लाख 55 हजार 453 किसानों से उनकी समर्थन मूल्य पर क्रय की गई उपज के भुगतान स्वरूप राशि ऑन लाइन उनके खातों में अंतरित की गई। इस वर्ष 2021-21 के लिए प्रदेश में 19 लाख 46 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए पंजीयन कराया था। इसमें से 15 लाख 29 हजार किसानों ने 122 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का विक्रय किया। किसानों को सफल भुगतान के रूप में 16 हजार 183 करोड़ 77 लाख 21 हजार 757 रूपये की राशि ऑनलाइन भुगतान उनके खातों में पहुँचायी जा चुकी है। कुल उपार्जित गेहूँ का 87.33 प्रतिशत यानी एक करोड़ 7 लाख 27 हजार 926 मीट्रिक टन गेहूँ का परिवहन किया जाकर उसे सुरक्षित गोदामों में भंडारित कराया गया। लॉक डाउन के कारण सोशल डिस्टेंसिंग के साथ विपरीत परिस्थितियों में गेहूँ का निश्चित अवधि में उपार्जन मानसून को देखते हुए जरूरत के साथ एक उपलब्धि भी है।

 

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छोटे एवं मध्यम किसान हुए लाभान्वित

इस एक वर्ष में प्रदेश के कुल पंजीकृत किसानों में से 13 लाख 80 हजार लघु, मध्यम एवं सीमांत किसानों ने अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर विक्रय किया। इनमें लगभग 3 लाख 81 हजार सीमांत किसान शामिल हैं जबकि 5 लाख 41 हजार छोटे किसानों सहित 4 लाख 68 हजार मध्यम किसानों ने उपार्जन का लाभ लिया।लघु,मध्यम एवं सीमांत किसानों ने 86.57 मीट्रिक टन गेहूँ का विक्रय किया। इनमें से सीमांत किसानों ने अभी तक कुल 9 लाख 26 हजार मीट्रिक टन, छोटे किसानों ने 28 लाख 38 हजार मीट्रिक टन और मध्यम किसानों ने 48 लाख 93 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का समर्थन मूल्य पर विक्रय किया है। शेष गेहूँ बड़े किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदा गया।

प्रदेश को गेहूँ प्रदेश बनाने का श्रेय किसी को जाता है तो वो है प्रदेश का किसान, प्रदेश का अन्न-दाता। सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने और कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में अच्छे उत्पादन के चलते इस साल 16 लाख किसानों से बम्पर गेहूँ उपार्जन करके एक नया इतिहास बनाया गया है। इस तरह मध्य प्रदेश गेहूँ उपार्जन में देश का नंबर वन राज्य बना। इस सफलता को पुन: दोहराते हुए प्रदेश में धान के उपार्जन का कार्य भी सफलता पूर्वक संपादित किया गया। इसीका परिणाम है कि जनवरी 21 तक 5 लाख 86 हजार से अधिक किसानों से 37 लाख 27 हजार मीट्रिक टन से अधिक मात्रा में धान उपार्जित किया गया। इसके अलावा 42 हजार 400 से अधिक किसानों से 2 लाख 24 हजार मीट्रिक टन से अधिक ज्वार एवं बाजरा भी समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। गेहूँ,धान एवं अन्य फसलों के उपार्जन के विरूद्ध 33 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि किसानों के खातों में अंतरित की गई।

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राशन का सुनियोजित वितरण

उपार्जन के बाद सरकार के सामने अपनी जनता को राशन वितरण की चुनौती थी। चुनौती इसलिए कि कोरोनो के कारण लगे लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन वितरण के साथ करना था। सरकार ने एक करोड़ 10लाख पात्र परिवार के 4 करोड़ 72 लाख सदस्यों को खाद्यान्न सुरक्षा के तहत राशन वितरण कर इसे बखूबी पूरा किया। अन्त्योदय अन्न योजना में पात्र परिवारों को 35 किलोग्राम प्रति परिवार और प्राथमिकता वाले परिवारों को 5 किलोग्राम प्रति सदस्य प्रतिमाह के मान से खाद्यान्न का वितरण एक रूपये प्रति किलोग्राम की दर से किया गया।

वन नेशन वन राशन कार्ड योजना वन

प्रदेश के बाहर रहने वाले प्रदेश के नागरिकों कोखाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए वन 'नेशन-वन राशन कार्ड' योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से हितग्राही अब प्रदेश के बाहर जिस राज्य में वे रह रहे हैं वहाँ से खाद्यान्न लेने के लिए स्वतंत्र है। इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी के माध्यम से माह जनवरी तक 3 लाख 85 हजार से अधिक परिवारों को खाद्यान्न प्रदान किया गया।इसके अलावा प्रदेश में रहने वाला व्यक्ति भी अपने क्षेत्र में किसी भी दुकान से राशन प्राप्त कर सकता है।

अन्न उत्सव

राज्य शासन द्वारा यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि गरीब की थाली किसी भी हालत में खाली न रहे। इसके तहत विभिन्न श्रेणियों के नवीन चिन्हित व्यक्तियों को पात्रता पर्ची जारी की गई, जो अभी तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन प्राप्त करने से वंचित थे।'अन्न उत्सव' कार्यक्रम के माध्यम से 25 श्रेणियों के नवीन पात्रता पर्चीधारी 6 लाख 46 हजार से अधिक परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली केमाध्यम से राशन वितरण का कार्य प्रारंभ किया गया। अब तक ऐसे लगभग 9 लाख परिवारों के लगभग 31 लाख सदस्यों को नियमित राशन वितरण किया गया है।

 

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चना, मसूर, सरसों का उपार्जन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में लगभग 3 लाख किसानों से 8 लाख से अधिक मीट्रिक टन चना, मसूर एवं सरसों का उपार्जन कर 3 हजार 900 करोड़ रूपये से अधिक का भुगतान किसानों को किया गया।इसी के साथ खरीफ में 5 लाख 89 हजार किसानों से 37 लाख 26 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया। किसानों को उपार्जित धान की कुल राशि 6 हजार 961 करोड़ रूपये भुगतान की गई। इसी प्रकार एक लाख 95 हजार मीट्रिक टन बाजरा एवं 29 हजार मीट्रिक टन ज्वार का उपार्जन किया गया है।

 

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चुनौतियाँ सफल मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण भाग है परंतु महत्वपूर्ण यह है कि उन चुनौतियों का सामना आप किस प्रकार करते हैं। शायद कुछ ऐसा ही समय प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के सामने आया जब 23 मार्च 2020 को उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। खाली खजाने के साथ कोरोना की चुनौती और प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की जीवन रक्षा का प्रश्न सामने खड़ा था। न मंत्री और न मंत्री-मंडल, खुद ही मंत्री खुद ही मुख्यमंत्री। वक्त मुश्किल था पर हौंसला बुलंद था। एक सदस्यीय मंत्री-मंडल ने शपथ के दिन ही मंत्रालय में कोरोना की समीक्षा से अपने नेतृत्व कौशल का परिचय दिया। चारों ओर चुनौतियाँ, बस जीत का था विश्वास, तो पीछे था प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का हाथ।

कोरोना से लड़ाई लड़नी भी थी तो घर में बैठकर क्योंकि कोरोना से बचाव ही कोरोना पर जीत का मुख्य अस्त्र थी। प्रधानमंत्री के आव्हान पर देश- प्रदेश की जनता अपना कामकाज चंद घंटों में ही जहाँ जिस हाल में था, बंद कर अपने घरों में कैद हो गई। कहते हैं खाली पेट कोई भी जंग नहीं लड़ी जा सकती। मुख्यमंत्री श्री चौहान के सामने बड़ी चुनौती थी घर में बैठकर कोरोना संक्रमण से लड़ रही अपनी जनता रूपी सेना को राशन कैसे पहुँचाए। उधर गेहूँ खेतों में तैयार खड़ा था। पहले गेहूँ की उचित मूल्य पर खरीदी फिर भंडारण एवं उसका वितरण वो भी जनता को घर-घर जाकर।

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