मध्यप्रदेश: विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अब संगठन चुनाव की कवायत शुरू
कुल मिलाकर जहाँ भाजपा में संगठन स्तर पर नाम तय होना है तो वही कांग्रेस में आलाकमान पीसीसी चीफ का नाम तय करेंगी। वही काँग्रेस में चली अंदरूनी कलह के बीच यह नाम तय होना है।
मध्यप्रदेश के दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस में संगठन चुनाव को लेकर कवायत तेज हो गई है। जहां इस बार कांग्रेस सत्ता में है तो वही मुख्य विपक्षी दल के रूप में भाजपा में इस बार कुछ नए की संभावना व्यक्त की जा रही है। प्रदेश में लगातार जीत की हैट्रिक लग चुकी भाजपा नवम्बर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से पराजित हो गई थी। चुनाव से पहले जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई थी। वही कांग्रेस ने कमलनाथ पर अध्यक्ष के रूप में भरोसा जताया था। हालंकि विधानसभा में कांग्रेस तो लोकसभा में बंपर 29 में से 28 सीटें जीतकर भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने अपनी छवि पर लगे दाग को धोने की कोशिश की है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश के संगठन चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया है। कार्यक्रम के अनुसार दिसम्बर तक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव होने की संभावना व्यक्त की गई है। जिसकी शुरूआत बूथ अध्यक्ष के निर्वाचन से होगी। पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति ने हर स्तर पर चुनाव के बीच में 10 दिन का वक्त आपत्ति और आगामी तैयारीयों के लिए दिया है। जानकारी के अनुसार 11 से 30 सितंबर के बीच बूथ अध्यक्ष और बूथ समिति के चुनाव होगें। वही 11 से 31 अक्टूबर के बीच मंडल स्तर की समितियों और मंडल अध्यक्षक चुनाव होगा। इसी के तहत 11 नवम्बर से 30 नवम्बर तक जिलाध्यक्षों और प्रदेश परिषद के सदस्यों तथा 01 से 15 दिसंबर के बीच प्रदेशध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का निर्वाचन होगा। रविवार को संगठन चुनाव को लेकर प्रदेश निर्वाचन अधिकारियों की प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के साथ बैठक होनी थी जो किसी कारणवश नहीं हो सकी। भाजपा संगठन चुनाव कार्यक्रम के अनुसार संभवतः दिसम्बर में यह तय हो जाएगा कि आखिर मध्यप्रदेश भाजपा का कौन अध्यक्ष बनेगा।
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तो दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भी सोमवार को रायसुमारी शुरू हो गई है। वर्तमान में मुख्यमंत्री कमलनाथ मध्यप्रदेश काग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष है। हालंकि कमलनाथ लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके है लेकिन पार्टी आलाकमान ने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा था वही सोनिया गांधी के कांग्रेस पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ की 22 अगस्त को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात प्रस्तावित है। सूत्र बताते है कि इस दौरान नए पीसीसी चीफ के नाम पर कमलनाथ और सोनिया गांधी के बीच चर्चा हो सकती है। इधर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी सोमवार से पार्टी नेताओं से वन टू वन चर्चा कर नए अध्यक्ष के नाम पर रायसुमारी लेगें। लेकिन माना जा रहा है कि अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान का ही होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए अभी तक गृहमंत्री बाला बच्चन का नाम सबसे आगे चल रहा है इन्हें कमलनाथ का विश्वस्त माना जाता है आदिवासी चेहरे के रूप में बाला बच्चन अपनी अलग पहचान रखते है वही आदिवासी चेहरों में मंत्री उमंग सिंगार और ओमकार मरकाम का नाम भी शामिल है यह दोनों युवा चेहरे आदिवासी समुदाय में अच्छी पकड़ रखते है। इसके अलावा प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओज़ा भी इस दौड़ में शामिल है। तो दूसरी ओर प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी और यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रही मीनाक्षी नटराजन के नाम की भी चर्चा है।
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कुल मिलाकर जहाँ भाजपा में संगठन स्तर पर नाम तय होना है तो वही कांग्रेस में आलाकमान पीसीसी चीफ का नाम तय करेंगी। वही काँग्रेस में चली अंदरूनी कलह के बीच यह नाम तय होना है। क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे लेकिन राहुल गांधी के अचानक इस्तीफा देने के बाद उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी देखा जाने लगा था। चूँकि प्रदेश कांग्रेस में इस समय कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का गुट हावी है और यह तीनों ही नेता अपनी पसंद का प्रदेश अध्यक्ष चाहेगें। लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ यह कतई नहीं चाहेगें कि प्रदेश काँग्रेस में सत्ता के दो ध्रुव काम करें। लेकिन इस बार भाजपा और काँग्रेस दोनों में होने वाले संगठन चुनाव में केन्द्रीय नेतृत्व की भूमिका मुख्य होने बात कही जा सकती है।
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