लॉकडाउन: 167 वर्षों में रेलवे ने पहली बार अपने स्थापना दिवस पर यात्रियों की सेवा नहीं की
पहली भारतीय रेल यात्री गाड़ी का संचालन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच किया गया था। 14 डिब्बों वाली रेलगाड़ी को 21 तोपों की सलामी दी गई थी और इसमें 400 यात्रियों ने यात्रा की थी। इसे तीन लोकोमोटिव सिंधु, साहिब और सुल्तान ने खींचा था।
अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने से कहा, ‘‘मैं उस समय को याद कर सकता हूं। मुझे याद है कि हमारे नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने तत्कालीन रेल मंत्री के साथ लगभग समझौता कर लिया था लेकिन मामला जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास पहुंचा तो यह विफल हो गया।’’ उस वक्त वह रेलवे में अप्रेंटिस थे। उन्होंने कहा, ‘‘फर्नांडिस को लखनऊ में गिरफ्तार कर लिया गया। कामगारों को उस समय काफी कुछ सहना पड़ा था। लेकिन उन दिनों क्षुब्ध कामगारों ने हड़ताल तोड़ने से इंकार कर दिया और अपनी मांगें मनवाने के लिए बड़ा जोखिम उठाया।’’ इस समय की ही तरह चार दशक पहले भी मालगाड़ियां आवश्यक सामानों की ढुलाई कर रही थीं और यूनियनों ने हावड़ा से दिल्ली तक कालका मेल जैसी रेलगाड़ियां चलाने पर सहमति दी थी।Serving the Nation Since 1853: 167 years ago, 1st passenger train was flagged off from Mumbai to Thane.
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) April 16, 2020
After a long & glorious service, for the 1st time operations have paused for safety of nation.
I thank people for cooperating amid the pandemic. We will emerge victorious. pic.twitter.com/wZLJqHdqNy
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रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘अपने इतिहास में कभी भी सेवाएं इतने लंबे समय तक बाधित नहीं रहीं। विश्व युद्धों के दौरान भी नहीं, न ही 1974 की रेल हड़तालों के दौरान या किसी राष्ट्रीय आपदा या प्राकृतिक आपदा के दौरान।’’ पहली भारतीय रेल यात्री गाड़ी का संचालन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच किया गया था। 14 डिब्बों वाली रेलगाड़ी को 21 तोपों की सलामी दी गई थी और इसमें 400 यात्रियों ने यात्रा की थी। इसे तीन लोकोमोटिव सिंधु, साहिब और सुल्तान ने खींचा था।
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