फूट के आसार! पासवान बोले- असम्मानजनक सीट बंटवारे को नहीं मानेंगे
भाजपा नीत राजग में शामिल लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बुधवार को कहा कि वह लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे पर किसी भी असम्मानजनक समझौते को बर्दाश्त नहीं करेगी।
नयी दिल्ली। भाजपा नीत राजग में शामिल लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बुधवार को कहा कि वह लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में सीट बंटवारे पर किसी भी असम्मानजनक समझौते को बर्दाश्त नहीं करेगी। लोजपा के 19वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को यहां संबोधित करते हुए पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि इस बार गठबंधन में जदयू के जुड़ने के कारण सबसे बड़े भागीदार के नाते भाजपा को अपने सहयोगियों के लिए और सामंजस्य बनाना होगा।
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उन्होंने कहा कि बिहार के लिए सीट बंटवारे का फार्मूला जल्द सामने आयेगा और उन अटकलों को खारिज कर दिया कि 2014 की तुलना में लोजपा को कम सीटें दी जा सकती है। चिराग ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा अध्यक्ष ने सम्मानजनक समझौते की बात कही थी। मैं उतनी सीटों को स्वीकार नहीं करूंगा जो लोकजनशक्ति पार्टी के लिए किसी भी तरह असम्मानजनक हो।’ उन्होंने कहा कि बिहार में सीट बंटवारे का फार्मूला जल्द सामने आएगा। राजग में सबसे बड़ा दल होने के नाते भाजपा को अपने सहयोगियों के लिए और सामंजस्य करना होगा।
बिहार में सीट बंटवारे को लेकर रालोसपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी के बारे में चिराग ने कहा, ‘मैं कुशवाहा के असंतोष को नहीं समझ पाता हूं। उन्होंने सीट बंटवारे की चर्चा को सार्वजनिक कर दिया यह गलत है।’ उन्होंने कहा, ‘राजग में होते हुए विपक्षी नेताओं से बात कर वह दो नाव पर सवार होने का प्रयास कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि वह राजग के घटक के तौर पर चुनाव लड़ेंगे।’
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लोजपा नेता रामविलास पासवान ने कहा कि उनके बेटे चिराग पासवान सीट बंटवारे पर वार्ता में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके सभी फैसले लोजपा अध्यक्ष के फैसले माने जाएंगे।’ वर्ष 1969 में विधायक बनने वाले रामविलास पासवान 2019 में राजनीति में 50 साल पूरे कर लेंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि उन्होंने हमेशा भीमराव आंबेडकर और राममनोहर लोहिया का अनुसरण किया जो कि जाति नहीं समुदाय की बात करते थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंडल आयोग लागू होने के बाद दलितों और पिछड़ों के बीच एकजुटता नहीं होने से वह निराश महसूस करते हैं।
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