सर्वे का अनुमान- बंगाल में दीदी बनाम मोदी, दादा की एंट्री से बदल सकते हैं चुनावी परिणाम
दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के बीच समय-समय पर झड़प की भी खबरें आती है। सी वोटर सर्वे के अनुमान के मुताबिक ममता बनर्जी को इस बार के विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। हालांकि इस सर्वे ने एक बार फिर से ममता बनर्जी को सत्ता में वापसी का अनुमान जताया है।
इस साल 4 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा के चुनाव होने है। लेकिन सबसे ज्यादा निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई हैं। पश्चिम बंगाल में जहां ममता बनर्जी सत्ता वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही हैं तो वहीं भाजपा ममता को मात देने के लिए हर दांव आजमा रही है। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस साल बंगाल किसका होगा? विधानसभा चुनाव को देखते हुए बंगाल की सियासी पारा अभी उफान पर है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के नेता लगातार प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं के बीच समय-समय पर झड़प की भी खबरें आती है। सी वोटर सर्वे के अनुमान के मुताबिक ममता बनर्जी को इस बार के विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है। हालांकि इस सर्वे ने एक बार फिर से ममता बनर्जी को सत्ता में वापसी का अनुमान जताया है।
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इस सर्वे में भाजपा और ममता बनर्जी के बीच कड़ी टक्कर भी दिखाई गई है। सर्वे के मुताबिक ममता बनर्जी की पार्टी को 2 फ़ीसदी वोट का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों की तुलना में उनकी पार्टी के 53 सीट भी कम हो सकते हैं। सर्वे का दावा है कि 43 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ ममता बनर्जी की पार्टी को 158 सीटें मिल सकती है। बात भाजपा की करें तो पिछले बार की चुनाव की तुलना में इस बार उसे जबरदस्त फायदा होता दिख रहा है। हालांकि, यह फायदा इतना भी नहीं है कि भाजपा अपने दम पर सरकार बना सकें। पिछले चुनाव के 10.2 फ़ीसदी की तुलना में इस बार भाजपा को 37.5 फ़ीसदी वोट मिल रहे है। इसी के साथ वह तीन के मुकाबले लंबी छलांग लगाकर 102 सीटें जीत सकती है। कांग्रेस और वामदलों के लिए कोई अच्छी खबर नहीं है। दोनों ही दलों को इस चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है।
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भाजपा के तमाम आरोपों के बावजूद ममता बनर्जी आज भी पश्चिम बंगाल में सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर सबसे आगे हैं। लगभग 49 फ़ीसदी लोग अब भी ममता बनर्जी को सीएम बनते देखना चाहते हैं। भाजपा के दिलीप घोष सीएम के पसंदीदा चेहरे के तौर पर दूसरे नंबर पर हैं जबकि सौरव गांगुली तीसरे नंबर पर हैं। आपको यह भी बता दें कि राजनीति में सक्रिय नहीं होने के बावजूद सौरव गांगुली तीसरे नंबर पर सीएम चेहरे के रूप में सामने आए हैं। भाजपा को कोई एक बड़ा सीएम का चेहरा नहीं होने का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं दिख रहा कि आने वाला पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव ममता बनर्जी बनाम नरेंद्र मोदी हो सकता है। ओपिनियन पोल के मुताबिक पश्चिम बंगाल की लगभग 35 फ़ीसदी जनता केंद्र सरकार के कामकाज से बहुत ज्यादा संतुष्ट है तो वहीं 38 फ़ीसदी संतुष्ट हैं। 27 फ़ीसदी लोग ऐसे भी हैं जो केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं।
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कुल मिलाकर देखें तो पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी से लगभग 74 फ़ीसदी जनता संतुष्ट है। पश्चिम बंगाल सरकार के कामकाज से वहां की जनता खुश नहीं है। बावजूद इसके ममता बनर्जी की लोकप्रियता बरकरार है। 49 फ़ीसदी जनता ने बंगाल सरकार के कामकाज से असंतुष्टी जताई है। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए नाक का सवाल बन गया है। वर्तमान परिस्थिति में देखे तो भाजपा और ममता बनर्जी के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान है। अगर पूर्व क्रिकेट कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली भाजपा में शामिल होते हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे किया जाता है तो इससे भगवा पार्टी को बहुत फायदा होता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में मोदी बनाम दीदी फिलहाल यही ट्रेंड है। आगे की परिस्थितियों में क्या बदलाव होते हैं यह देखने वाली बात होगी।
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