जानें क्या है EC का वो 'रिमोट', बिहार वाले बेंगलुरु और मेरठ वाले मुंबई में बैठे-बैठे डाल पाएंगे अपना वोट, किन-किन देशों में ऐसी है व्यवस्था
चुनाव आयोग (ईसी) ने मतदान के लिए घर वापस आने वाले घरेलू प्रवासियों के सामने आने वाली समस्याओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उसने दूरस्थ मतदान केंद्र विकसित किए हैं।
ये देश एक गुलदस्ता है। अरमानों, उम्मीदों, कामयाबियों और नाकामियों का। एक भारत का नारा केवल चंद लाइने नहीं बल्कि भारत को एकता के सूत्र में पिरोकर एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना पूरा करने का प्रधानमंत्री का संकल्प भी है। वैसे तो हमारे देश में बरसों से जातियों की दीवार तोड़ने की राजनीति हो रही है। धर्मों और भाषाओं की दीवार तोड़ने की राजनीति हो रही है। इन दीवरों को तोड़ने का माध्यम चुनाव भी बना है। चुनाव जिसे लोकतंत्र के महापर्व की संज्ञा दी गई है। लेकिन रोजी-रोटी की चाह में अपने प्रदेश, गांव, कस्बे से दूर गुजर-बसर कर रहे लोग कई बार इस महापर्व में शरीक होने से वंचित रह जाते हैं। लेकिन अब इन्हीं के लिए चुनाव आयोग की तरफ से एक नई पहल शुरू की गई है। चुनाव आयोग ने घर से दूर रहने वाले मतदाता के लिए रिमोट वोटिंग सिस्टम (आरवीएम) तैयार कर लिया है।
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रिमोट वोटिंग है क्या?
मान लीजिए कि आप दिल्ली में रहकर काम करते हैं लेकिन आपका नाम आपके स्थायी निवास लखनऊ की मतदाता सूची में आता है। तो भी आप दिल्ली में बैठे-बैठे ही लखनऊ में अपना वोट डाल पाएंगे। कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग ने प्रवासी वोटरों की विधिवत जनगणना शुरू कर दी है। ताकी रिमोट वोटिंग के लिए रोडमैप तैय़ार किया जा सके। अगर ऐसा होता है तो बेंगलुरू में बिहार के लोग, चेन्नई में चतरा के लोग, मुंबई में मेरठ के लोग और दिल्ली में देहरादून के लोग वहां बैठे-बैठे अपना वोट अपने गांव, विधानसभा, संसदीय क्षेत्र में डालने में सक्षम होंगे।
रिमोट वोटिंग पर क्यों चुनाव आयोग का फोकस?
चुनाव आयोग (ईसी) ने मतदान के लिए घर वापस आने वाले घरेलू प्रवासियों के सामने आने वाली समस्याओं को रेखांकित करते हुए कहा कि उसने दूरस्थ मतदान केंद्र विकसित किए हैं। ईसी ने एक बयान में कहा कि आम चुनाव 2019 में मतदाता मतदान 67.4% था और भारत का चुनाव आयोग 30 करोड़ से अधिक मतदाताओं के अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करने और विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में अलग-अलग मतदाताओं के मतदान के मुद्दे के बारे में चिंतित है। ईसी ने कहा कि यह समझा जाता है कि एक मतदाता के निवास के एक नए स्थान पर पंजीकरण न करने के कई कारण हैं, इस प्रकार मतदान के अधिकार का प्रयोग करने से चूक जाते हैं। आंतरिक प्रवासन (घरेलू प्रवासियों) के कारण मतदान करने में असमर्थता मतदाता मतदान में सुधार और सहभागी चुनाव सुनिश्चित करने के प्रमुख कारणों में से एक है। आयोग ने कहा कि उसने एक मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के लिए एक प्रोटोटाइप विकसित किया है जो एक रिमोट पोलिंग बूथ से कई निर्वाचन क्षेत्रों को संभाल सकता है।
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कब इसे लागू किया जाएगा?
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने 16 जनवरी को सभी मान्यता प्राप्त आठ राष्ट्रीय और 57 राज्य राजनीतिक दलों को रिमोट ईवीएम के कामकाज को प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित किया है और 31 जनवरी तक उनके लिखित विचार मांगे हैं। पहल, यदि लागू की जाती है, तो प्रवासियों के लिए एक सामाजिक परिवर्तन हो सकता है और अपनी जड़ों से जुड़ सकता है क्योंकि कई बार वे अपने काम के स्थान पर खुद को नामांकित करने के लिए अनिच्छुक होते हैं जैसे कि बार-बार बदलते आवास, पर्याप्त सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव नहीं प्रवास के क्षेत्र के मुद्दों के साथ, उनके घर / मूल निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में उनका नाम हटाने की अनिच्छा के रूप में उनके पास स्थायी निवास / संपत्ति आदि है।
किन-किन देशों में ऐसी है व्यवस्था
कनाडा (रिमोट इंटरनेट वोटिंग)
एस्टोनिया (रिमोट इंटरनेट वोटिंग)
नॉर्वे (रिमोट इंटरनेट वोटिंग)
स्विट्जरलैंड (रिमोट इंटरनेट वोटिंग)
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