Sadhvi Ritambhara: बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का...अयोध्या आंदोलन की नायिका के आंखों में आंसू के पीछे की कहानी जानिए

Sadhvi Ritambhara
BJP
अभिनय आकाश । Jan 22 2024 5:41PM

पंजाब के लुधियाना में जन्मी निशा ने केवल 16 साल की आयु में भगवा चोला ग्रहण कर लिया। हरिद्वार के गुरु परमानंज गिरी ने उन्हें साध्वी जीवन का नया नाम ऋतंभरा दिया। वर्तमान दौर में भी साध्वी ऋतंभरा की वाणी में ऐसा तेज है कि वो सुनने वालों में एक गजब की ऊर्जी भर देती हैं। अपने युवा अवस्था में जब साध्वी ऋतंभरा बोलती थी कि ऐसा प्रतीत होता था कि मानो युद्धभूमि में तलवारों की टंकार गूंज रही हो।

"राम जी का काम है। राम जी के काम में काहे का विराम है। जिंदा रहे तो जगजीवन ललाम है। मर भी गए तो रहने को स्वर्ग धाम है। हमको तो काम बस राम जी के काम से, राम जी का मंदिर बनेगा धूम-धास से।"

आखिर 22 जनवरी को वो तारीख आ ही गई, जिसका इंतजार कई पीढ़ियों से किया जा रहा था। ये माना जा रहा था कि हमारे राम लला कब अपने भव्य, दिव्य और नव्य मंदिर में विराजमान होंगे। हिंदुस्तान में अगर हम बात करे सनातन धर्म की तो प्रभु श्री राम इतिहास हैं, वर्तमान हैं, श्रद्धा हैं, आस्था हैं और कहीं न कहीं आज के दौर में सियासत के केंद्र में भी हैं। समारोह में राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा भी शामिल हुईं। इस दौरान, अपने सपने को साकार होते देख दोनों एक-दूसरे से मिलते ही रो पड़ीं और नम आंखों के साथ गले मिलीं। साध्वी ऋतंभरा राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी की भूमिका में रही। एक वक्त था जब इनके ओजस्वी भाषण से राम भक्त हजारों-हजार की संख्या में भागे चले आते थे।  राम मंदिर आंदोलन के बाबरी मस्जिद-पूर्व चरण में साध्वी ऋतंभरा एक फायरब्रांड हिंदुत्व नेता थीं। वह अयोध्या राम जन्मभूमि अभियान के पहचाने जाने योग्य महिला चेहरे के रूप में थीं। उनके भाषणों के ऑडियो कैसेट खूब बिके। 

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निशा को कैसे मिला नया नाम और काम

पंजाब के लुधियाना में जन्मी निशा ने केवल 16 साल की आयु में भगवा चोला ग्रहण कर लिया। हरिद्वार के गुरु परमानंज गिरी ने उन्हें साध्वी जीवन का नया नाम ऋतंभरा दिया। वर्तमान दौर में भी साध्वी ऋतंभरा की वाणी में ऐसा तेज है कि वो सुनने वालों में एक गजब की ऊर्जी भर देती हैं। अपने युवा अवस्था में जब साध्वी ऋतंभरा बोलती थी कि ऐसा प्रतीत होता था कि मानो युद्धभूमि में तलवारों की टंकार गूंज रही हो। कोई डर नहीं, कोई संशय नहीं। इसलिए दिल की बात बेझिझक जुबां पर आ जाती थी। 1980 के दशक में विहिप ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण को लेकर आंदोलन चलाया तो इससे देश भर के साधु संतों का जुड़ाव होने लगा। साध्वी ऋतंभरा देखते ही देखते राम मंदिर आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बन गई। इससे पहले वो आरएसएस की महिला संगठन राष्ट्रीय सेविका समिति से जुड़ी थीं। 1990 में जब अयोध्या आंदोलन ने जोर पकड़ा तो साध्वी घर-घर जाने लगी। 6 दिसंबर, 1992 को जब  बाबरी विध्वंस हुआ तो वो अयोध्या में ही थी। 

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दिग्विजय सरकार ने भेजा जेल

बाबरी विध्वंस के तीन साल ही हुए थे जब मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने साध्वी ऋतंभरा को गिरफ्तार करवा दिया था। दिग्विज सिंह की सरकार ने इंदौर की ईसाई मिशनरियों के हिंदुओं के धर्म परिवर्तन के खिलाफ जनसभा करने आई साध्वी ऋतंभरा को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। बाद में हाई कोर्ट से 11 दिन जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा किया गया।  

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गली-गली गूंजता था ऋतंभरा का भाषण

राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने अलग माहौल बनाया। दोनों नेताओं के भाषण के ऑडियो कैसेट उस वक्त बनाए जाते थे। हिंदू वर्ग के बीच इन कैसेटों को बांटा जाता था। विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से इन कैसेटों को लोगों को पहुंचाते थे। उनके भाषण का ऐसा प्रभाव था, जिसने हिंदुओं को राम के प्रति आकर्षित किया। लोगों में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक अलग भावना पैदा हुई। आज वो अयोध्या पहुंची तो उनकी आंखों में संकल्प से सिद्धि की खुशी साफ नजर आई।  

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