किसान आंदोलन : प्रदर्शन स्थलों पर भीड़ घटी, किसान नेताओं ने कहा- आंदोलन अब भी मजबूत
किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना में 394 पुलिसकर्मी घायल हो गये और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। सिंघू बार्डर पर गणतंत्र दिवस या इससे पहले की तुलना में बृहस्पतिवार को अपेक्षाकृत कम भीड़ नजर आई। यह एक प्रमुख प्रदर्शन स्थल रहा है जहां दो महीने से अधिक समय से हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान डेरा डाले हुए हैं।
किसानों ने कहा कि ट्रैक्टरों और प्रदर्शनकारियों की संख्या कम नजर आने का कारण यह है कि जो लोग 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे वे अपने-अपने घर लौट गये हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव बलदेव सिंह ने कहा, ‘‘तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने के हमारे जज्बे में कोई कमी नहीं आई है। सच तो यह है कि सिंघू सच्चाई नहीं देखे जाने के कारण ही खाली नजर आ रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, परेड की तैयारी को लेकर काफी संख्या में लोग थे, लेकिन अब वे लोग लौट गये हैं, इसलिए भीड़ कम नजर आ रही है। ’’ हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषणा की थी कि ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने वाले सभी किसान यहीं रूकेंगे और उनके ठहरने के लिए इंतजाम किये जाएंगे। सिंह के मुताबिक, भीड़ इसलिए भी कम नजर आ रही है कि शुरूआत से ही प्रदर्शनकारी यहां डेरा डाले हुए थे और उन्होंने घर लौटने से पहले गणतंत्र दिवस तक इंतजार किया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिर उनके परिवार के कुछ सदस्य प्रदर्शन में हमारे साथ शामिल हो गये। प्रदर्शन मजबूत हो रहा है। ’’ पंजाब किसान यूनियन के जिला प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा कि तीनों कानूनों को रद्द करने की आंदोलन की मांग उनका एकमात्र एजेंडा है और इसे पूरा होने तक वहसिंघू बार्डर से हटने नहीं जा रहे हैं।A notice has been served to them (farmers) under Section 133 of CrPC (conditional order for removal of nuisance): Ghaziabad ADM City Shailendra Kumar Singh at Ghazipur border pic.twitter.com/8tGIsrSV8T
— ANI (@ANI) January 28, 2021
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भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां नेकहा कि कई लोग ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे और वे अब अपने घर लौट गये हैं। यही कारण है कि भीड़ कुछ कम नजर आ रही है। उगराहां का संगठन टीकरी बार्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है। सिंघू बार्डर पर शायद लोगों की भीड़ कम होने के चलते ही कई सेवा प्रदाताओं ने लंगर और किसान मॉल आदि अस्थायी तौर पर बंद कर दिये हैं। हालांकि, वहां कई लोगों ने इस बात को खारिज कर दिया कि भीड़ कम होना इसकी वजह है। उन्होंने कहा कि चूंकि सेवा प्रदाता आपूर्ति के लिए फिर से भंडार भर रहे हैं इसलिए ये सेवाएं फिलहाल अनुपलब्ध हैं। पंजाब के पटियाला निवासी गुरजीत सिंह ने कहा कि आंदोलन मजबूत बना रहेगा। वह नवंबर में 20 लोगों के जत्थे में सिंघू आये थे और अभी वहां सिर्फ पांच ही बचे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग जरूरी काम से घर लौटे हैं। जैसे कि एक व्यक्ति अपनी बहन की शादी में गया है जबकि एक व्यक्ति इलाज के लिए गया है। ’’ उल्लेखनीय है कि एक फरवरी को किसानों का संसद मार्च टाल दिया गया है और किसान नेता भविष्य की रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। बलदेव सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को उपवास रखा जाएगा।
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