नेहरू की कश्मीर नीति पर लिखे लेख को लेकर बोले किरेन रिजिजू, 70 से अधिक वर्षों तक सच्चाई को दबाया गया
अपने लिखे लेख को लेकर कानून मंत्री की तरफ से ताजा बयान सामने आया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कश्मीर पर मेरा लेख मेरे अपने शब्द नहीं हैं, वे पंडित नेहरू के संसदीय रिकॉर्ड और उस समय से सभी सरकारी आदान-प्रदान का ब्यौरा है।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने निधन के 48 साल बाद भी भारत की राजनीति में सबसे लोकप्रिय और विवादित शख्सियतों में से एक बने हुए हैं। पंडित नेहरू की कश्मीर नीति को लेकर आक्रमक रही बीजेपी के आरोपों में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक नई कड़ी जोड़ते हुए नेहरू की मंशा पर सवाल उठाते हुए ‘कश्मीर की नेहरूवादी भूलों’ को सूचीबद्ध किया। जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस में इसको लेकर घमासान मच गया। लेकिन अब अपने लिखे लेख को लेकर कानून मंत्री की तरफ से ताजा बयान सामने आया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कश्मीर पर मेरा लेख मेरे अपने शब्द नहीं हैं, वे पंडित नेहरू के संसदीय रिकॉर्ड और उस समय से सभी सरकारी आदान-प्रदान का ब्यौरा है।
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देश के पहले पीएम के खिलाफ बीजेपी के हमले को जोड़ते हुए, हाल ही में एक ओपिनियन पीस में, कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कश्मीर के बारे में रिजिजू ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि 70 से अधिक वर्षों तक सच्चाई को दबाया और छुपाया गया, मैं इसे लोगों के सामने लाया क्योंकि हम इतिहास नहीं बदल सकते। इतिहास को उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए न कि किसी की राय के रूप में। इसलिए, कश्मीर के लोगों ने बहुत उत्पीड़न और कठिनाई का सामना करने जैसे तथ्य जिसे दबा दिया गया था उसे मैंने सामने रखा। समय आ गया है कि इसे दुरुस्त किया जाए, उन्हें प्यार चाहिए।
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केंद्रीय कानून मंत्री ने अन्य विषयों पर भी अपनी राय रखी। देश में हो रहे अपराधाों पर उन्होंने कहा कि हमने देश में जघन्य अपराधों - बलात्कार, बच्चों की हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का प्रावधान किया। हमने पॉक्सो एक्ट के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट और फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट का रोडमैप बनाया। 2018 में हम क्रिमिनल अमेंडमेंट बिल लेकर आए। कोई भी अपराध हो, अपराधी कोई भी हो, कानून को उससे सख्ती से निपटना चाहिए। अदालतें हैं, वे कार्रवाई करेंगी। अदालतों को मजबूत करना सरकार का कर्तव्य है। सभी अदालतें एकजुट हैं और हम चाहते हैं कि देश का कानून मजबूत हो।
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