UP की राजनीति में पहेली बने केशव प्रसाद मौर्य, दिल्ली से बढ़ रही नजदीकी, भाजपा अध्यक्ष पद भी हो रहा खाली!

Keshav Prasad Maurya
ANI
अंकित सिंह । Jul 12 2024 6:39PM

उपमुख्यमंत्री होने के नाते वह चुनावी नतीजे के बाद ना तो कैबिनेट की बैठक में पहुंचे हैं और ना ही पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इसकी वजह से उनको लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। उनके भविष्य को लेकर भी अटकलें हैं।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति भी अपने आप में दिलचस्प है और यहां के नेताओं के बारे में भी कुछ कह पाना बड़ा मुश्किल नजर आता है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश को लेकर रही। उत्तर प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा। भाजपा तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में नहीं आ सकी। उसे सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी। ऐसे में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को लेकर एक अलग चर्चा है। वह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तो हैं लेकिन राज्य में उनकी भूमिका फिलहाल एक पहेली बनती दिखाई दे रही है।

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उपमुख्यमंत्री होने के नाते वह चुनावी नतीजे के बाद ना तो कैबिनेट की बैठक में पहुंचे हैं और ना ही पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इसकी वजह से उनको लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं। उनके भविष्य को लेकर भी अटकलें हैं। दावा किया जा रहा है कि संगठन और सरकार में उनकी भूमिका अलग हो सकती है। उनके कदमों को पढ़ने की कोशिश भी की जा रही है। लेकिन इतना तो तय माना जा रहा है कि केशव प्रसाद मौर्य को लेकर कुछ ना कुछ खिचड़ी पक रही है और अचानक किसी दिन सामने जरूर आने वाली है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मीटिंग और पार्टी के कार्यक्रमों से नदारद रहने के बावजूद भी वह भाजपा के संगठन मंत्री बीएल संतोष के कार्यक्रम में पहुंच जाते हैं।

यह कार्यक्रम लखनऊ में ही था। लखनऊ के बाकी कार्यक्रमों में केशव प्रसाद मौर्य नहीं पहुंच रहे। लेकिन बीएल संतोष के साथ बैठक में उनकी मौजूदगी ने चर्चाओं को गर्म कर दिया। इससे ऐसा लगता है कि केशव प्रसाद मौर्य फिलहाल उत्तर प्रदेश को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। एक बात और है जो केशव प्रसाद मौर्य को परेशान कर सकता है। वह यह है कि पहले विधानसभा चुनाव में सिराथू में उनकी हार हुई। फिर लोकसभा चुनाव में कौशांबी सीट पर भी भाजपा की हार हो गई। इस चुनाव में मौर्य जाति का भी वोट बीजेपी को काफी कम मिला।

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माना जा रहा है कि निकट भविष्य में केशव प्रसाद मौर्य को लेकर संगठन में कोई बड़ा फैसला हो सकता है। ऐसे में कहीं ना कहीं केशव प्रसाद मौर्य की भारतीय जनता पार्टी के संगठन में वापसी दिखाई दे रही है। केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह हमेशा पार्टी के संगठन के कामों को प्राथमिकता देते रहे हैं। वह सरकार से ज्यादा संगठन में रहना भी पसंद करते हैं। इसलिए उनको लेकर एक और चर्चा है। वह चर्चा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर है। क्योंकि यह पद खाली होने वाला है। भाजपा ओबीसी को साधने की कोशिश कर रही है। ओबीसी के बहाने विपक्ष भी भाजपा को जबरदस्त तरीके से घेर रहा है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य एक अच्छे विकल्प बीजेपी के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए हो सकते हैं। 

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