Kartavyapath: 'चंद्रयान 3' भारत की अंतरिक्ष यात्रा में लिखता नया अध्याय
इसके बाद 2009 में चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की है। चंद्रयान 2 मिशन का मिशन का ऑर्बिटर पिछले चार वर्षों से लगातार काम कर रहा है। वहीं अब 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 की सफलतम उड़ान से पूरा भारत गौरवान्वित है।
भारत का महत्वाकांक्षी मून मिशन 'चंद्रयान-3' लगातार सफलता की सीढ़ियों को पार करते हुए अपने मिशन की ओर आगे बढ़ रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के मुताबिक पांच अगस्त को 'चंद्रयान-3' सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। ये भारत का तीसरा चंद्रयान मिशन है जिसे चंद्रमा पर भेजा गया है। चंद्रमा के रहस्यों को जानने की दिशा में भारत लगातार कोशिशें कर रहा है। इस सतह का बार बार अवलोकन करने वाले दो रोबोटिक अंतरिक्षयान भेजकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। भारत वर्ष 2008 में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश बना है।
इसके बाद 2009 में चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की है। चंद्रयान 2 मिशन का मिशन का ऑर्बिटर पिछले चार वर्षों से लगातार काम कर रहा है। वहीं अब 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 की सफलतम उड़ान से पूरा भारत गौरवान्वित है। अंतरिक्ष की फील्ड में अब चंद्रयान 3 ने नई गाथा लिखी है। इसी के साथ भारत का चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया के पहले मिशन के तौर पर इतिहास रचने को भी तैयार है।
बता दें कि 14 जुलाई को दोपहर 2:35 मिनट पर एलएमवी 3 एम 4 रॉकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी थी, जिसके बाद चंद्रयान 3 को सफलता के साथ प्रक्षेपित किया गया था। इस उड़ान के साथ ही चंद्रयान 3 अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर भी निकल चुका था जहां उसे इतिहास रचना है। इस लॉन्च के बाद इसरो ने कहा कि अंतिरक्ष यान की स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। वहीं चंद्रयान 3 की सफलतम लॉन्च के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों के अथक समर्पण की सराहना की और कहा कि चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अधक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा का अभिनंनद करता हूं। 3,00,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए, यह चंद्रमा पर पहुंचेगा। चंद्रयान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और हमारे ज्ञान को बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है। चंद्रयान 1 को वैश्विक चंद्र मिशनों में एक पथ प्रदर्शक माना जाता है क्योंकि इसने चंद्रमा पर जल के अणुओं की उपस्थिति की पुष्टि की है। यह दुनिया भर के 200 से अधिक वैज्ञानिक प्रकाशनों में प्रकाशित हुआ।
बता दें कि चंद्रयान 3 मिशन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो कि देश की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाने का काम करेगा। बता दें कि चंद्रमा पर अब तक अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही उतर सके है। भारत ने अगर दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफलता हासिल की तो ये इतिहास बन जाएगा। अब तक दक्षिणी ध्रुव पर कोई देश लैंड नहीं कर सका है। गौरतलब है कि ये मिशन बेहद खास है क्योंकि चंद्रयान-3 चंद्रमा के रहस्यों से पर्दा हटाने में भी मदद करेगा।
मिशन की जरुरी जानकारी
- लॉन्च 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे हुआ
- 23 अगस्त की शाम 5.48 बजे लैंडिंग का लक्ष्य
- चंद्रयान 3 एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैस है
- इसकी लागत लगभग 615 करोड़ रुपये है
- इसका वजन 3900 किलोग्राम है
चंद्रयान-1 व चंद्रयान-2 से मिली विशेष मदद
- चंद्रयान -1 जब तक चंद्रमा पर नहीं पहुंचा था तब तक चंद्रमा को शुष्क, भूवैज्ञानिक रूप से निष्क्रिय और निर्जन खगोलीय पिंड माना जाता था। इसे जल और इसकी उप सतह पर बर्फ की उपस्थिति है। इसे भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय खगोलीय खंड के तौर पर देखते है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में चंद्रमा पर निवास करने की संभावना भी हो सकती है।
- चंद्रयान 2 में जो ऑर्बिटर था उससे मिले डेटा के जरिए ही पहली बार रिमोट सेंसिंग का उपयोग कर चंद्रमा पर मैंगनीज और सोडियम की मौजूदगी का पता चला था। चंद्रमान 2 की मदद से ही ये जानकारी मिली थी कि चंद्रमा की सतह पर बर्फ है जो जल से निर्मित है। ये खोज और ये मिशन इतना अहम था कि इसे लगभग 50 प्रकाशनों में प्रकाशित किया गया था।
आत्मनिर्भर भारत का आत्मनिर्भर अंतरिक्ष क्षेत्र
- भारत ने देश का पहला मानव अंतंरिक्ष अभियान तैयार कर लिया है जो कि गगनयान है। इसे वर्ष 2024 में भेजा जाएगा।
- भारत से विश्व के 34 विभिन्न देशों के 424 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए है।
- इसरो ने पिछले 5 वर्षों में 19 देशों के 177 विदेशी सैटेलाइट को व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया। इससे लगभग 94 मिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा की कमाई हुई।
- पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा मे प्रवेश करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
- नीतियों में सुधार से अंतरिक्ष क्षेत्र में उड़ान में विस्तार, निजी कंपनियों की अनुमति, उद्योग के लिए इसरो के इंफ्रास्ट्रक्टर और तकनीक तक पहुंच बनाई है।
- निजी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र - IN-SPACe स्थापित किया गया है।
- इन-स्पेस, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के जरिए से निजी कंपनियों को मदद की है।
- IN-SPACe के जरिए अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा, इस प्लेटफॉर्म पर करीब 120 अंतरिक्ष स्टार्टअप पंजीकृत किए है।
- भारत को आत्मनिर्भर और अंतरिक्ष में ग्लोबल लीडर बनाने के लिए इंडियन स्पेस एसोसिएशन की पहल की है।
- केंद्रीय मंत्रीमंडल ने भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को दी मंजूरी जिसमें निजी कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकारी निकायों की भूमिका और जिम्मेदारियां निर्धारित की गई है।
- भारत के पीएसएलवी ने विकसित और विकासशील दोनों देशों के 36 उपग्रह लॉन्च किए है।
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