Kargil Vijay के 25 साल पूरे, साथियों और परिजनों ने Drass पहुँच कर शहीदों और उनके शौर्य को किया याद

Kargil Vijay Diwas
ANI

हम आपको बता दें कि कारगिल में युद्ध की नौबत इसलिए आयी थी क्योंकि 160 किलोमीटर के दायरे में हमारे निगरानी तंत्र की विफलता के चलते वहां पाकिस्तानी सेना घुस आई थी और हमारी कई चौकियों पर कब्जा जमा लिया था।

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और जनरल वीपी मलिक (सेवानिवृत्त) कारगिल में हुए ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना की जीत के रजत जयंती समारोह में आज शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस समारोह में शामिल होने के लिए शुक्रवार को द्रास पहुँचेंगे। हम आपको बता दें कि इस समारोह में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कारगिल की लड़ाई लड़ चुके जवान और कारगिल में शहीद हुए जवानों के परिजन भी सम्मिलित हुए हैं। भारत ने साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध पर विजय हासिल की थी। भारत की जीत की 'रजत जयंती' के अवसर पर 24 से 26 जुलाई तक कारगिल जिले के द्रास में भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह के अंतिम दिन प्रधानमंत्री शहीदों को दी जाने वाले पुष्पांजलि समारोह में शामिल होंगे और उसके बाद 'शहीद मार्ग' (वॉल ऑफ फेम) का दौरा करेंगे। वह आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर करेंगे और कारगिल युद्ध की कलाकृतियों के संग्रहालय का निरीक्षण करेंगे। इसके अलावा प्रधानमंत्री 'वीर नारियों' (युद्ध में शहीद हुए जवानों की पत्नियां) से बातचीत करेंगे और वीर भूमि का दौरा करेंगे। इसके साथ ही वह 'शिंकू ला सुरंग' का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करेंगे।

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हम आपको बता दें कि कारगिल में युद्ध की नौबत इसलिए आयी थी क्योंकि 160 किलोमीटर के दायरे में हमारे निगरानी तंत्र की विफलता के चलते वहां पाकिस्तानी सेना घुस आई थी और हमारी कई चौकियों पर कब्जा जमा लिया था। पाकिस्तानी घुसपैठियों ने मुख्यतः उन भारतीय चौकियों पर कब्जा जमाया था जिनको भारतीय सेना की ओर से सर्दियों के मौसम में खाली कर दिया जाता था। पाकिस्तानी सेना ने यह घुसपैठ 'ऑपरेशन बद्र' के तहत करवाई थी और उसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ ने यह घुसपैठ बड़े गुपचुप तरीके से करवाई थी इसलिए जब इसका खुलासा हुआ तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलजी पाकिस्तान से मिले इस धोखे से स्तब्ध रह गये थे क्योंकि वह एक ओर पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे, लाहौर तब बस लेकर गये थे लेकिन बदले में पाकिस्तान ने पीठ में छुरा भोंकने का काम किया था। घुसपैठ की बात सामने आते ही अटलजी ने मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक बुलाई और कुछ देर बाद ही भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' का ऐलान कर दिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली जगहों पर हमला किया और पाकिस्तानी सेना को भारतीय चोटियों को छोड़ कर भागने पर मजबूर कर दिया। आखिरकार 26 जुलाई को वह दिन आया जिस दिन सेना ने इस ऑपरेशन का पूरा कर लिया।

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