सर्दी के दौरान हाड़ कंपाने वाली ठंड से सैनिकों को राहत प्रदान करेगा करगिल समर स्मारक गृह
पृथ्वी के दूसरे सबसे ठंडे स्थान के नाम से जाने जाने वाले एवं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रवेश द्वार द्रास में करगिल समर स्मारक की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को अब हाड़ कंपा देने वाली ठंड का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने अग्रणी घरेलू निर्माण तकनीक के माध्यम से उनकी इस चिंता को दूर कर दिया है।
द्रास (लद्दाख), 1 अगस्त। पृथ्वी के दूसरे सबसे ठंडे स्थान के नाम से जाने जाने वाले एवं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रवेश द्वार द्रास में करगिल समर स्मारक की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को अब हाड़ कंपा देने वाली ठंड का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि शिक्षाविद् सोनम वांगचुक ने अग्रणी घरेलू निर्माण तकनीक के माध्यम से उनकी इस चिंता को दूर कर दिया है। दरअसल, नागपुर के लोकमत मीडिया समूह ने स्मारक में करगिल समर स्मारक गृह के निर्माण के लिए वांगचुक की सेवाएं ली हैं।
यह युद्ध स्मारक 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों से मातृभूमि की रक्षा करते समय शहीद हुए 559 सैनिकों को समर्पित है। सेना ने घुसपैठियों को खदेड़कर भारत को इस युद्ध में जीत दिलाई थी। लोकमत मीडिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा ने पिछले सप्ताह विजय दिवस के मौके पर जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और लोकमत मीडिया के प्रधान संपादक व पूर्व मंत्री राजेंद्र दर्डा की उपस्थिति में यह स्मारक गृह सैनिकों को समर्पित किया था।
स्मारक 10,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां तापमान कभी-कभी शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। हालांकि, स्मारक गृह में सैनिकों के आवास का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहेगा, जिसका अर्थ है कि रोजाना इस्तेमाल होने वाला पानी जम नहीं पाएगा। प्रसिद्ध शिक्षाविद् और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) के संस्थापक वांगचुक द्वारा डिजाइन किए गए इस गृह का निर्माण फसल के भूसे और लद्दाख की मिट्टी को मिलाकर बनाई गईं ईंटों का उपयोग करके किया गया है।
एचआईएएल के मुख्य परिचालन अधिकारी तन्मय मुखर्जी ने कहा, इसके लिए पंजाब के किसानों द्वारा त्यागी गई पराली और लद्दाख की मिट्टी का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया गया है। एक मंजिला इमारत करगिल युद्ध स्मारक के परिसर में स्थित है। यह तोलोलिंग हिल की तलहटी में शहर के केंद्र से पांच किलोमीटर दूर है। इसमें स्मारक की रखवाली करने वाले अधिकतम 10 सैनिक रह सकते हैं। वांगचुक से प्रेरित होकर ही ‘थ्री इडियट्स’ फिल्म बनी है।
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