कमलनाथ मायावी हैं, ये फिर मायाजाल बिछाएंगे, इनकी माया से दूर रहना है : शिवराज सिंह चौहान
कभी वल्लभ भवन से बाहर नहीं निकले, कभी जनता का दुख-दर्द नहीं देखा और अब चुनाव में वोट मांगने के लिए जगह-जगह जा रहे हैं। ये बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अम्बाह विधानसभा के खजूरी खड़ारा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कही।
भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस मायावी हैं। इन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में किसानों की कर्जमाफी का मायाजाल बूना। ये इस बार भी कोई नया मायाजाल बिछाएंगे, लेकिन इनकी माया और मायाजाल से दूर ही रहना है। मायावी रावण भी था और उसने माता सीता का हरण करने के लिए कैसी माया रची? उस मायावी के चक्कर में माता सीता आ गईं थी और उनका हरण हो गया था, इसलिए इस बार कांग्रेसियों के कहने में नहीं आना है। हम अब युवाओं के लिए सरकारी भर्तियां निकाल रहे हैं तो कमलनाथ ट्वीट करके कह रहे हैं कि यह सब हमारे वचन पत्र में था और सरकार में रहते तो हम भी भर्तियां करते, लेकिन जब मुख्यमंत्री थे तब तो कुछ किया नहीं और अब कह रहे हैं कि हम भी करते। कभी वल्लभ भवन से बाहर नहीं निकले, कभी जनता का दुख-दर्द नहीं देखा और अब चुनाव में वोट मांगने के लिए जगह-जगह जा रहे हैं। ये बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अम्बाह विधानसभा के खजूरी खड़ारा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने ग्वालियर के कोटेश्वर मैदान में भी सभाओं को संबोधित किया।
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मुख्यमंत्री ने सभा की शुरूआत में कहा कि आज अष्टमी है। मातारानी प्रदेश एवं प्रदेशवासियों के लिए सुख-समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि लाए, सबका कल्याण करें, सब निरोगी रहें। मातारानी से यही प्रार्थना है। उन्होंने कहा कि हम नवरात्रि में मातारानी की आराधना करते हैं, उन्हें पूजते हैं, लेकिन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तो उनका अपमान कर रहे हैं। उन्हें अपशब्द कह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ ने कभी उनकी सहयोगी रही और अब हमारे मंत्रिमंडल की सदस्य इमरती देवी का अपमान किया, उन्हें अपशब्द कहे। इसका हमने विरोध किया, मौन धरना दिया तो भी वे माफी मांगने को तैयार नहीं हुए। राहुल गांधी ने भी उनके बयान को आपत्तिजनक बताया तो उन्होंने राहुल गांधी की बातों को भी नहीं माना। वे तो अपने दंभ और गुरूर में चूर हैं।
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इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजों के बाद हम चाहते तो कांग्रेस की सरकार नहीं बनने देते। हमारी कुछ ही सीटें कम थीं, लेकिन वोट प्रतिशत ज्यादा था। कांग्रेस ने भी निर्दलीय विधायकों को मिलाकर सरकार बनाई। कई लोग हमारे साथ भी आने को तैयार थे। हमने विचार भी किया, लेकिन हमने तय किया कि कांग्रेस की ज्यादा सीट हैं, इसलिए सरकार भी उन्हें ही बनाने देंगे। हम विपक्ष में ही रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उम्मीद थी कि कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में लौट रही है। कुछ काम करेगी, अपने वचन पत्र में दिए गए वचनों को पूरा करेगी, लेकिन 15 माह तक कांग्रेस ने एक भी विकास के कार्य नहीं किए। उन्होंने अपने वचन पत्र के वचनों को भी पूरा नहीं किया, बल्कि हमारी जनकल्याणकारी योजनाओं को ही बंद कर दिया। 15 माह तक सिर्फ कांग्रेस और कमलनाथ ने अपना ही विकास किया, उन्होंने किसी गरीब, किसान, माता-बहनों और बेटियों के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार में चंबल एक्सप्रेस वे का काम ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बाढ़ आई तो मैंने कमलनाथ जी से कहा कि वे जाकर देखें कि कैसे लोग परेशान हो रहे हैं, लेकिन वे कहते हैं कि मैं नहीं जाता। वे एक दिन घर से बाहर नहीं निकले, वल्लभ भवन से बाहर नहीं निकले। वे कभी जनता के बीच नहीं गए, वे जनता की तकलीफें क्या जानेंगे?
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मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में उनके मंत्री-विधायक एवं जनप्रतिनिधि जब विकास के कार्यों के लिए कमलनाथ जी के पास जाते थे तो वे कहते थे कि खजाना खाली है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लूट लिया है। क्या प्रदेश का खजाना ओरंगजेब का खजाना था, जो हमने लूट लिया। हमने तो प्रदेश के विकास कार्यों में पैसा दिया, बेटियों की शादी में कन्यादान के लिए पैसा दिया है। संबल योजना शुरू करके गरीबों को पैसा दिया है। किसानों को उनकी खराब हुई फसलों के लिए मुआवजा और बीमा दिया है। उन्होंने कहा कि जब हम फिर से सत्ता में आए तो कोरोना की शुरूआत हो गई थी, लेकिन हमने कोरोना काल में भी विकास कार्यों को बंद नहीं किया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हमेशा पैसों का रोना रोया। एक भी विकास का काम नहीं किया। किसानों की कर्जमाफी नहीं की, उल्टे किसानों को कर्ज पर 18 प्रतिशत ब्याज भरना पड़ा।
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