Jharkhand Chunav के बीच आया नया मुद्दा, JMM सरकार दे रही घुसपैठियों को शरण, जानें पूरा मामला
अमित शाह का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार घुसपैठियों को शह दे रही है। हमारी सरकार ने आने पर घुसपैठियों को बख्शा नहीं जाएगा। घुसपैठियों से कहूंगा की चैन की नींद लेने के उनके दिन अब गए।
झारखंड के आदिवासी इलाकों में जनसांख्यिकी के बदलने का मामला विवादों से घिरा रहा है। हाल के समय में इस मामले पर अधिक चिंता होने लगी है। वर्तमान की हेमंत सोरेन सरकार इस मामले पर संदिग्ध नीति का पालन कर रही है। ये ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे के प्रति अदालत भी स्वयं आशंका व्यक्त कर चुकी है।
इसी कड़ी में रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी बड़ा बयान दिया है। वो सीधे तौर पर जेएमएम को संदेहों के घेरे में लाने के लिए पर्याप्त है। अमित शाह का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार घुसपैठियों को शह दे रही है। हमारी सरकार ने आने पर घुसपैठियों को बख्शा नहीं जाएगा। घुसपैठियों से कहूंगा की चैन की नींद लेने के उनके दिन अब गए।
अनधिकृत घुसपैठियों के स्वागत में खड़ी है हेमंत सोरेन सरकार? झारखंड में अवैध-घुसपैठियों के समर्थन के लिए जेएमएम सरकार पहली बार आलोचनाओं का शिकार नहीं हो रही है। आलोचकों का दावा रहा है कि मौजूदा प्रशासन जाने-अनजाने में अनधिकृत लोगों को यहां रहने की इजाजत देने में जुटा हुआ है। यह न सिर्फ कानून और व्यवस्था को जोखिम में डाल रहा है, बल्कि इससे यहां की संस्कृति भी प्रभावित हो रही है और खासतौर पर स्थानीय मतदाताओं के समीकरण में भी बदलाव आ रहा है।
अवैध घुसपैठियों से बढ़ रहा देश की सुरक्षा पर खतरा! राजनीतिक दल ही नहीं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी दावा रहा है कि मौजूदा सरकार के रवैए कि वजह से विशेष तौर पर संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को बढ़ावा मिला है। आरोप लगते रहे हैं कि प्रशासन के ढीले रवैए की वजह से अवैध घुसपैठिए जरूरी दस्तावेज हासिल कर ले रहे हैं, जिससे उनको बेनकाब कर पाना मुश्किल हो रहा है। यह सिर्फ आदिवासियों की पहचान मिटने की आशंका के नजरिए से ही खतरनाक नहीं है, बल्कि इससे देश की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है। कुछ समय पहले हुए अंकिता हत्याकांड पर सरकारी रवैए से अभी सहमे हुए ही है। झारखंड और देश की जनता अब भी विभत्स अंकिता हत्याकांड को भूली नहीं है। अंकिता को ना सिर्फ प्रताड़ित करके मार डाला गया। ये जानकारी भी मिली की उसका कथित तौर पर धर्मांतरण करवाने की कोशिश हुई। झारखंड में वर्तमान में जो कानून है उसे देखते हुए हालत काफी गंभीर दिख रहे है। इस हत्याकांड के आने के बाद सोरेन सरकार का रवैया सवालों के घेरे में है।
जेएमएम सरकार का रवैया घुसपैठिये का हौसला बढ़ाने की आशंका
राज्य सरकार का रुख अप्रत्यक्ष रूप से गलत इरादे के साथ प्रदेश में घुसपैठ करने वालों को बिना किसी जवाबदेही के राज्य के संसाधनों का दोहन करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। वोट बैंक पॉलिटिक्स की वजह से झारखंड को दिया जा रहा है धोखा? स्वाभाविक तौर पर अगर ऐसे अवैध-घुसपैठियों के मसले को सरकारी मशीनरी की ओर से जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता है तो इसके पीछे वोट बैंक पॉलिटिक्स बहुत बड़ी वजह हो सकती है। वैसे जेएमएम सरकार की ओर से कानून की अदालत से लेकर जनता की अदालत तक में सिर्फ एक ही रटा-रटाया जवाब दिया जाता है कि अवैध-घुसपैठियों जैसा कोई मुद्दा है ही नहीं। लेकिन,अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से साहिबगंज के जिलाधिकारी ने यह बात मान ली है कि 2017 से 4 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा गया और 'इस क्षेत्र में जनसांख्यिकी बदलाव से कोई मना नहीं कर सकता' हेमंत सोरेन सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।
झारखंड में जनसांख्यिकी बदलाव का सबसे कड़वा सच तो महान संथाल क्रांतिकारी सिद्धो-कान्हू के गांव भोगनाडीह ही बयां करता है। जहां, अब आदिवासी अल्पसंख्यक हो चुके हैं और मुसलमान बहुसंख्यक बन गए हैं। खास बात ये है कि यह गांव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चुनाव क्षेत्र बेरहट का ही हिस्सा है।
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