‘सांकेतिक राजनीति’ कर रही है मोदी सरकार, Jairam Ramesh ने BJP पर लगाया आरक्षण खत्म करने की साजिश रचने का आरोप
कांग्रेस नेता ने पोस्ट किया, ‘‘कुछ वर्ष पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी। अब उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है। यूजीसी का यह प्रस्ताव मोहन भागवत की मंशा के अनुरूप है और स्पष्ट रूप से दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ अन्याय है।’’
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के पदों में आरक्षण को समाप्त करने की ‘साजिश’ रची जा रही है। पार्टी ने दावा किया कि मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के संदर्भ में केवल ‘सांकेतिक राजनीति’ कर रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक खबर साझा की जिसके मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये मसौदा दिशानिर्देशों में सुझाव दिया गया है कि एससी, एसटी या ओबीसी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं आने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं। रमेश ने मांग की कि ऐसे प्रस्ताव को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने पोस्ट किया, ‘‘कुछ वर्ष पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी। अब उच्च शिक्षा संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है। यूजीसी का यह प्रस्ताव मोहन भागवत की मंशा के अनुरूप है और स्पष्ट रूप से दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ अन्याय है।’’ रमेश ने कहा, ‘‘पिछले दिनों जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न दिए जाने पर राहुल गांधी ने कहा था कि देश को ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए। मोदी सरकार दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के मामले में सिर्फ ‘सांकेतिक राजनीति’ ही कर रही है। उनकी असली नियत क्या है वह यूजीसी के इस प्रस्ताव से एक बार फिर सामने है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी लड़ाई इसी अन्याय और बाबा साहेब के संविधान पर लगातार हो रहे हमलों के खिलाफ है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण को खत्म करने वाला यह प्रस्ताव पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।’’
कुछ वर्ष पहले RSS प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा करने की बात कही थी। अब उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साज़िश हो रही है। UGC का यह प्रस्ताव मोहन भागवत की मंशा के अनुरूप है और स्पष्ट रूप से दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ… pic.twitter.com/JSfdZxYwQD
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 28, 2024
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‘उच्च शिक्षा संस्थानों’ (एचईआई) में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश को हितधारकों से प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक किया गया है। इन दिशानिर्देशों की कई वर्गों ने आलोचना की है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। मसौदा दिशा-निर्देश में कहा गया है, ‘‘अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्तियां संबंधित उम्मीदवार के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार द्वारा नहीं भरी जा सकती।’’ इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘हालांकि, एक आरक्षित रिक्ति को अनारक्षण की प्रक्रिया का पालन करके अनारक्षित घोषित किया जा सकता है, जिसके बाद इसे अनारक्षित रिक्ति के रूप में भरा जा सकता है।
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