जेल में बंद माओवादी नेता को जल्द मिल सकता है पीएचडी में दाखिला, बंगाल सरकार कर रही है हस्तक्षेप
हम अर्नब की रिहाई की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर कोई जेल में बंद होने के बावजूद उच्च शिक्षा की राह पर आगे बढ़ना चाहता है, तो क्या यह समाज में उम्मीद की किरण नहीं है?
पश्चिम बंगाल के बर्द्धवान विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले माओवादी नेता अर्नब दाम को जल्द ही पीएचडी में दाखिला मिल सकता है, क्योंकि राज्य सरकार ने कुछ प्रशासनिक मुद्दों को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप किया है।
सुधार प्रशासन मंत्री अखिल गिरि ने कहा कि कई हमलों और हत्याओं के मामलों में आरोपी दाम को हुगली जिले के सुधार गृह से बर्द्धवान स्थानांतरित किया जा रहा है और शहर में स्थित विश्वविद्यालय परिसर में उसके दौरे के लिए सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
दाम 2010 में झाड़ग्राम जिले के सिलदाह में ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स के शिविर पर हमले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने दाम की उस मांग का समर्थन किया जिसमें उसने कहा है कि उसे विश्वविद्यालय में पीएचडी में दाखिला लेने की अनुमति दी जाए।
साथ ही घोष ने यह भी स्पष्ट किया कि आपराधिक मामलों में कानून के अनुसार उन पर मुकदमा जारी रहना चाहिए। घोष ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर बांग्ला में लिखी एक पोस्ट में कहा, हम हत्या की राजनीति के खिलाफ हैं। हम अर्नब की रिहाई की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर कोई जेल में बंद होने के बावजूद उच्च शिक्षा की राह पर आगे बढ़ना चाहता है, तो क्या यह समाज में उम्मीद की किरण नहीं है?
दाम ने 26 जून को कड़ी सुरक्षा के बीच परिसर में आयोजित इतिहास में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए थे। अंतरिम कुलपति गौतम चंद्र ने शनिवार को कहा, हम अर्नब को पीएचडी शोधार्थी के रूप में हमारे विश्वविद्यालय में प्रवेश देना चाहते हैं क्योंकि वह प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान पर आया था। लेकिन हमें यूजीसी के कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
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