Aditya L1 सूरज पर आने वाले तूफानों के बारे में जानने के लिए हुआ रवाना, जानें इनके बारे में अधिक
इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
इसरो का आदित्य एल 1 मिशन लॉन्च हो गया है। सूर्य से जुड़ें रहस्यों का पता लगाने के लिए इस सोलर मिशन की यात्रा शुरू हो गई है। इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को सूर्य के अध्ययन के लिए रवाना हुआ। आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही इसके करीब जाएगा।
‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आदित्य एल1 सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो ने कहा, इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। सूर्य पर कई विस्फोटक घटनाएं होती रहती हैं जिससे यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं।
जानें क्या हैं सौर तूफान
धरती पर जीवन हो इसके लिए सूरज की सबसे अधिक महत्ता है। सूरज की बाहरी लेयर को कोरोना कहा जाता है, जिसमें बचते हुए ही इलेक्ट्रॉन और प्रोटोन बाहर निकलते है। इसके साथ ही कई अन्य चीजें भी बाहर निकलती है, जो अंतरिक्ष में समा जाती है। वहीं इससे कई तरह की गैस भी निकलती है। यहां मेग्नेटिक फिल्ड भी अचनाक काफी अधिक हो जाती है या अनियंत्रित हो जाती है। इसको वैज्ञानिक कोरोनल मास इजेक्शन के नाम से जानते है।
जानकारी के मुताबिक कोरोनाल मास इजेक्शन की वजह से विस्फोट में अरबों टन का पदार्थ होता है। ये मुसीबत तब बनते हैं जब ये पृथ्वी की तरफ आते है। वहीं इन पदार्थों में शक्ति होती है कि ये पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र मैग्नेटिक स्फेयर पर असर डाल सकें। तेज कोरोनल मास इजेक्शन को पृथ्वी पर आने में कई दिन लग जाते है। जब इस तरह के हालात होते हैं तब सौर तूफान आते है। यानी सौर की सतह पर तेज गति से निकले वाले मैग्नेटिक प्लाज्मा को सौर तूफान कहा जाता है। वैसे अबतक ये पता नहीं चला है कि सौर तूफान आने के पीछे कारण क्या है। इसका पता लगाने में भी वैज्ञानिक जुटे हुए है। बता दें कि जब भी सौर तूफान आते हैं तो वो पृथ्वी की सबसे बाहरी लेयर को प्रभावित करते हैं जिससे धरती की सैटेलाइटों और पॉवर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।
अन्य न्यूज़