सड़कों पर उतरने के बजाय न्यायिक प्रणाली में भरोसा रखें लोगः उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि आम नागरिकों और छात्रों को मौजूदा स्थिति से सबसे ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने युवाओं से सभी क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया। धनखड़ ने कहा कि भारत का विकास कुछ वर्गों को पसंद नहीं आ रहा है और उन्होंने छात्रों से ऐसी ताकतों को हराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आवाज अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर है, लेकिन यह कई लोगों को पसंद नहीं आ रही है... भारत विरोधी विमर्श को बेअसर करना हमारा कर्तव्य है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को लोगों से कानूनी मुद्दों से निपटने के लिए सड़कों पर उतरने के बजाय देश की न्यायिक प्रणाली में भरोसा रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि देश की शासन प्रणाली की ‘सफाई कर दी गई है और सत्ता के दलालों को निष्प्रभावी बना दिया गया है।’ असम की एक दिवसीय यात्रा के दौरान गुवाहाटी की कॉटन यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें जब भी अदालत या जांच एजेंसियों से समन मिलता है, तो वे सड़कों पर उतर आते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एक मजबूत न्यायिक प्रणाली है। हम इसका लाभ क्यों नहीं उठाते? हमारी अदालतों ने बहुत शानदार काम किया है।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा शासन के तहत भ्रष्टाचार को सिस्टम से खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने ऐसा समय भी देखा है, जब यह सोचा जाता था कि कानून कुछ लोगों तक नहीं पहुंच सकता, दलाल हर जगह थे और भ्रष्टाचार व्याप्त था। लेकिन वह समय अब खत्म हो गया है।’’ धनखड़ ने कहा, ‘‘एक दौर था, जब हमारे सत्ता के गलियारे और शासन प्रणाली सत्ता के दलालों और भ्रष्ट तत्वों से भरे हुए थे। इन गलियारों को अब साफ कर दिया गया है और दलालों को निष्क्रिय बना दिया गया है।’’
उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि आम नागरिकों और छात्रों को मौजूदा स्थिति से सबसे ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने युवाओं से सभी क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया। धनखड़ ने कहा कि भारत का विकास कुछ वर्गों को पसंद नहीं आ रहा है और उन्होंने छात्रों से ऐसी ताकतों को हराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की आवाज अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर है, लेकिन यह कई लोगों को पसंद नहीं आ रही है... भारत विरोधी विमर्श को बेअसर करना हमारा कर्तव्य है।
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