Agniveer Compensation पर Indian Army के बयान से Rahul Gandhi की कुत्सित सोच उजागर हो गयी है
हम आपको बता दें कि राहुल गांधी के आरोपों के बाद भारतीय सेना ने सोशल मीडिया पोस्ट में किए गए उन दावों को खारिज कर दिया है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीर अजय कुमार के परिजनों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बार-बार अग्निवीर योजना को निशाना बना रहे हैं। चुनावों के दौरान वह वादा कर रहे थे कि यदि उनकी सरकार बनी तो अग्निवीर योजना को रद्द कर दिया जायेगा। सरकार तो उनकी बनी नहीं इसलिए अब वह इस योजना के बारे में अफवाह और अग्निवीरों के मन में भ्रम फैलाने में जुट गये हैं। राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर बार-बार दावा कर रहे हैं कि अग्निवीर अजय के परिवार को मुआवजा नहीं दिया गया जबकि सरकार और सेना कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि मुआवजा दिया जा चुका है। अब सवाल उठता है कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत, तो इसका जवाब अजय के परिवार ने यह कह कर दे दिया है कि सेना ने मुआवजा दे दिया है। इसलिए अब सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी देश से माफी मांगेंगे? समय-समय पर सेना से जुड़े मुद्दों पर राजनीति करने वाले राहुल गांधी को इस सवाल का जवाब देना ही चाहिए कि क्यों वह हमारे सुरक्षा बलों के मन में संशय पैदा करना चाहते हैं? कांग्रेस पार्टी जिसने इस देश पर सबसे लंबे समय तक राज किया उसे भी जवाब देना चाहिए कि क्यों वह रक्षा-सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राहुल गांधी को बयानबाजी की अनुमति दे रही है?
सेना का बयान
हम आपको बता दें कि राहुल गांधी के आरोपों के बाद भारतीय सेना ने सोशल मीडिया पोस्ट में किए गए उन दावों को खारिज कर दिया है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीर अजय कुमार के परिजनों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। सेना ने कहा कि परिवार को देय राशि में से 98.39 लाख रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। सेना ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी। हम आपको बता दें कि सेना का यह स्पष्टीकरण लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा ‘एक्स’ पर अजय के पिता का एक वीडियो साझा करने के बाद आया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि उन्हें कोई पैसा नहीं मिला है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘अग्निवीर’ की मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक सहायता मिलने के बारे में संसद के भीतर झूठ बोला।
इसे भी पढ़ें: Lok Sabha में बोले राहुल गांधी, अग्निवीर यूज एंड थ्रो मजदूर, राजनाथ का पलटवार, कहा- गुमराह करने की कोशिश न करे
सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय (एडीजीपीआई) ने कहा कि भारतीय सेना ‘‘अग्निवीर अजय कुमार द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को सलाम करती है''। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक शहीद नायक को मिलने वाले भत्ते का भुगतान अग्निवीरों सहित दिवंगत सैनिकों के निकटतम परिजनों को शीघ्रता से किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया, ‘‘सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट से पता चला है कि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीर कुमार के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया गया है।’’ सेना ने पोस्ट में कहा, ‘‘अग्निवीर अजय कुमार का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। कुल देय राशि में से अग्निवीर अजय के परिवार को पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है।’’ सेना ने कहा, ‘‘अग्निवीर योजना के प्रावधानों के अनुसार लागू लगभग 67 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और अन्य लाभ, पुलिस सत्यापन के बाद शीघ्र ही बाकी राशि का भुगतान किया जाएगा।’’ सेना ने कहा कि कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी। बाद में रक्षा मंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारतीय सेना अग्निवीरों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है!’’ रक्षा मंत्री कार्यालय ने एडीजीपीआई की पोस्ट को साझा किया।
हम आपको बता दें कि अधिकारियों के अनुसार अजय के मामले में भुगतान की गई राशि में भारत सरकार से बीमा के रूप में 48 लाख रुपये, एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत वित्तीय संस्थानों से बीमा के रूप में 50 लाख रुपये और 39,000 रुपये की अतिरिक्त राशि शामिल है। उन्होंने कहा कि उचित प्रक्रिया के बाद शेष 67.3 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, आठ लाख रुपये की सेना कल्याण निधि, कार्यकाल पूरा होने तक शेष वेतन के लगभग 13 लाख रुपये और सेवा निधि के 2.3 लाख रुपये शामिल हैं।
ओआरओपी पर जल्द आयेगी अच्छी खबर!
हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी)’ योजना के तहत पेंशन के पुनर्निर्धारण के प्रस्ताव पर विचार किये जाने की खबर है। इस विषय की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया है कि हर पांच साल पर ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना के तहत पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाता है या उसकी समीक्षा की जाती है। पिछली समीक्षा जुलाई, 2019 में की गयी थी। सूत्रों ने बताया कि यह प्रस्ताव बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक के एजेंडे में शामिल था, लेकिन इस विषय पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
अन्य न्यूज़