कोरोना के इलाज की खोज के लिये WHO के साझा परीक्षण में भारत भी करेगा भागीदारी

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आईसीएमआर जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोरोना के टीके एवं इसके परीक्षण की किट को भी विकसित करने के लिये प्रयासरत है।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण का संभावित इलाज विकसित करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा विभिन्न देशों के ‘साझा परीक्षण’ (सॉलिडेरिटी ट्रायल) में भारत भी भाग लेगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने शुक्रवार को बताया कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज और दवा विकसित करने के लिये वैश्विक स्तर पर ‘सॉलिडेरिटी ट्रायल’ की पहल की है। इसमें कोरोना के संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों पर विभिन्न देशों में परीक्षण किया जायेगा।

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भारत भी इस प्रक्रिया में भागीदारी करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत में कोरेाना के मरीजों की संख्या 2547 हो गयी है, जबकि इससे अब तक देश में 62 लोगों की मौत भी हुई है। भारत में परीक्षण की प्रक्रिया आईसीएमआर के पुणे स्थित राष्ट्रीय एड्स शोध संस्थान की वैज्ञानिक डा शीला गोडबोले की देखरेख में की जायेगी। इससे पहले आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया था कि भारत ने कुछ समय पहले देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बहुत कम होने के कारण इस परीक्षण में भागीदारी करने से इंकार कर दिया था।

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उल्लेखनीय है कि आईसीएमआर जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोरोना के टीके एवं इसके परीक्षण की किट को भी विकसित करने के लिये प्रयासरत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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