बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाए भारत : Akhilesh

Akhilesh
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ANI

अखिलेश यादव ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए सोमवार को सरकार से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरजोर तरीके से उठाने की मांग की। उन्होंने ने कहा कि भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए।

लखनऊ । समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए सोमवार को सरकार से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरजोर तरीके से उठाने की मांग की। यादव ने एक्स पर कहा, कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नज़रिये वाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता मानने वाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने इसी पोस्ट में कहा, भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए। ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है। 

सपा अध्यक्ष ने इससे पहले एक्स पर ही बांग्लादेश का नाम लिये बगैर कहा था कि देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास सिखाता है कि जो सरकार किसी और देश के राजनीतिक हालात का इस्तेमाल अपने सियासी मंसूबों को पूरा करने के लिए करती है, वह देश को आंतरिक और बाह्य दोनों स्तर पर कमजोर करती है। अखिलेश ने एक्स पर पोस्ट किया, विश्व इतिहास गवाह है कि कई देशों में विभिन्न कारणों से, सही या गलत, उस समय के हालातों के अनुसार, हिंसक जन क्रांतियां, सैन्य तख्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन होते रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि ऐसे उथल-पुथल भरे समय में केवल उसी देश का पुनरुत्थान हुआ है, जिसने किसी के खिलाफ किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया। सपा अध्यक्ष ने कहा, देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है। सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो। उन्होंने कहा कि कई बार किसी देश के आंतरिक मामलों से प्रभावित होने वाले किसी अन्य देश का एकल स्तर पर हस्तक्षेप करना वैश्विक राजनयिक मानकों के लिहाज से उचित नहीं माना जाता है, लेकिन ऐसे में उस प्रभावित देश को अपने लोगों की रक्षा के लिए अपनी मूक विदेश नीति को सक्रिय करते हुए, विश्व बिरादरी के साथ मिलकर साहसपूर्ण सकारात्मक मुखर पहल करनी चाहिए। 

जिससे सार्थक समाधान निकल सके। उन्होंने कहा कि जो सरकार ऐसे में मूक-दर्शक बनी रहेंगी, वे ये मानकर चले कि ये उसकी विदेश नीति की नाकामी है, क्योंकि उसके सभी दिशाओं के निकटस्थ देशों में परिस्थितियां न तो सामान्य हैं और न उसके अनुकूल। सपा प्रमुख ने कहा, “इसका मतलब है कि ‘भू-राजनीतिक’ नज़रिये से उसकी विदेश नीति में कहीं कोई भारी चूक हुई है। सांस्कृतिक-निकटस्थता के सूत्र से एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र को बांधकर आपसी समझबूझ और भाईचारे से ही विश्व के विभिन्न अशांत भू-खंडों में अमन-चैन लाया जा सकता है। अखिलेश ने कहा कि सकारात्मक सोच से उत्पन्न सौहार्द एवं शांति ही मानवीय समृद्धि का मार्ग है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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