Shaurya Path: Israel-Hamas Ceasefire, G20 Virtual Summit, 2+2 Talks और Russia-Ukraine War से संबंधित मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रूसी ड्रोन हमले का लक्ष्य तुरंत स्पष्ट नहीं था, लेकिन यूक्रेन ने हाल के हफ्तों में चेतावनी दी है कि रूस एक बार फिर यूक्रेन की ऊर्जा प्रणाली को नष्ट करने के लिए हवाई अभियान चलाएगा।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने इजराइल-हमास के बीच हुए संघर्षविराम, इजराइल की ओर से लश्कर को प्रतिबंधित किये जाने, रूस-यूक्रेन युद्ध, जी-20 शिखर सम्मेलन और दिल्ली में हाल में संपन्न टू प्लस टू वार्ताओं से संबंधित मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ बातचीत की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. इजराइल-हमास युद्ध के संघर्षविराम को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- इजराइल और हमास के बीच चार दिवसीय युद्ध विराम समझौता प्रभावी हो गया है जिसके चलते फलस्तीनी कैदियों और गाजा में बंधक बनाए गए दर्जनों लोगों की होगी अदला-बदली होगी। उन्होंने कहा कि समझौता लागू होना पहली बड़ी कूटनीतिक जीत है और सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से शुरू हुए युद्ध में विराम लग गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह घोषणा इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की उस टिप्पणी के बीच हुई है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे सभी लक्ष्य हासिल होने तक युद्ध जारी रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि इजराइल कैबिनेट ने कतर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते को तीन के मुकाबले 35 वोट से मंजूरी दी। धुर दक्षिणपंथी ओत्जमा येहुदित पार्टी के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन ग्विर सहित पार्टी के मंत्रियों ने इसके खिलाफ वोट किया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि समझौते के तहत इजराइल द्वारा पकड़े गए फलस्तीनी कैदियों के बदले में बंधकों की रिहाई होगी। दोनों पक्षों द्वारा रिहा किए जाने वालों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस समझौते से गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति भी बढ़ेगी। इजराइल ने 300 फलस्तीनियों की सूची जारी की है जिन्हें इजराइल और हमास के इस समझौते के तहत रिहा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इज़राइल के न्याय मंत्रालय ने रिहाई के पात्र 300 कैदियों की एक सूची प्रकाशित की, जिनमें मुख्य रूप से पत्थर फेंकने और अन्य छोटे अपराधों के लिए पिछले साल हिरासत में लिए गए किशोर शामिल थे। उन्होंने कहा कि पहले चरण में सिर्फ 150 कैदियों की रिहाई की संभावना है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि इस युद्ध में गाजा में अब तक 15 हजार के करीब लोग मारे जा चुके हैं और सैंकड़ों घायल हो गये हैं तथा लाखों लोग बेघर हो गये हैं इसलिए यह युद्ध अब थमना ही चाहिए।
प्रश्न-2. इजराइल ने लश्कर-ए-तैयबा को प्रतिबंधित किया, क्या भारत को भी हमास को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में डालना चाहिए?
उत्तर- इजराइल ने लश्कर-ए-तैयबा को प्रतिबंधित कर सही कदम उठाया है। यदि भारत सरकार हमास को प्रतिबंधित करे तो इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक कठोर संदेश जायेगा। लेकिन देखना होगा कि ऐसा फैसला लेना भारतीय नीतियों के अनुरूप है या नहीं।
प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध अब किस मोड़ पर पहुँचा है? क्या जिस तरह इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम हुआ है उसको देखते हुए रूस और यूक्रेन को भी युद्ध को विराम देना चाहिए या समाप्त करना चाहिए?
उत्तर- समय की मांग है कि रूस और यूक्रेन युद्ध समाप्त हो क्योंकि इससे किसी भी पक्ष को कुछ हासिल नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल में संपन्न जी-20 की वर्चुअल बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संबोधन में भी यही बात उभर कर आई थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि ताजा खबर यह है कि रूस ने कीव में ड्रोन हमलों की बरसात कर दी है लेकिन इसमें भी किसी के मारे जाने की खबर नहीं है बल्कि सिर्फ पांच लोग ही घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों ने इसे युद्ध में अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला बताते हुए कहा है कि रूस द्वारा कीव में रात भर में 70 से अधिक ड्रोन दागे जाने के बाद पांच लोग घायल हो गए हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदमीर ज़ेलेंस्की ने राजधानी पर हमले को "जानबूझकर किया गया आतंक" बताते हुए टेलीग्राम ऐप पर लिखा कि "रूसी नेतृत्व को इस तथ्य पर गर्व है कि वह हत्या कर सकता है"। उन्होंने कहा कि इस हमले में ईरान द्वारा डिज़ाइन किए गए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के वायु सेना प्रमुख मायकोला ओलेशुक ने कहा है कि यूक्रेन में लॉन्च किए गए 75 ड्रोनों में से 71 को मार गिराया गया है। उन्होंने कहा कि कीव के मेयर विटाली क्लिट्स्को ने टेलीग्राम पर लिखते हुए कहा है कि हमले में 11 साल की लड़की सहित पांच लोग घायल हो गए और शहर की कई इमारतों को कुछ नुकसान पहुंचा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी ड्रोन हमले का लक्ष्य तुरंत स्पष्ट नहीं था, लेकिन यूक्रेन ने हाल के हफ्तों में चेतावनी दी है कि रूस एक बार फिर यूक्रेन की ऊर्जा प्रणाली को नष्ट करने के लिए हवाई अभियान चलाएगा। यूक्रेन के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि हमले के परिणामस्वरूप राजधानी में 77 आवासीय सहित लगभग 200 इमारतों में विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की वायु सेना ने कहा है कि फरवरी 2022 में युद्ध की शुरुआत के बाद से यह हमला रूस का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था। बताया जा रहा है कि रूसी सेना सर्दियों से पहले यूक्रेन में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह कीव और अन्य शहरों के निवासियों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि रूस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और बिजली आपूर्ति को लक्षित कर रहा है जैसा कि उन्होंने पिछले साल किया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक बात और स्पष्ट नजर आ रही है कि युद्ध के बीस महीने बाद, यूक्रेन के साथ पश्चिम के संबंधों में शिथिलता आ गयी है। उन्होंने कहा कि रूसी हमलों से बचने के लिए यूक्रेन सैन्य, आर्थिक और मानवीय सहायता के लिए पश्चिम और नाटो देशों पर बहुत अधिक निर्भर है लेकिन इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद स्थितियां काफी बदल गयी हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन के मंत्रियों ने यूक्रेन जाकर उसे अपना सहयोग देते रहने का भरोसा दिलाया लेकिन हालात में स्पष्ट बदलाव नजर आ रहा है।
प्रश्न-4. जी-20 वचुर्अल समिट के निष्कर्षों को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि वह विभिन्न मुद्दों पर बंटी हुई दुनिया को एक साथ ला सकता है और वैश्विक मुद्दों का समाधान निकाल सकता है। ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जी-20 के डिजिटल शिखर सम्मेलन में कई नेताओं ने इजराइल-हमास संघर्ष पर बात की और समय पर मानवीय सहायता प्रदान करने, हिंसा को फैलने नहीं देने तथा फलस्तीन मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में डिजिटल तरीके से आयोजित जी-20 बैठक में अफ्रीकी संघ, नौ अतिथि देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित सभी 21 सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि इसमें सितंबर में नयी दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन के एजेंडे की प्रगति पर चर्चा हुई। बैठक में पश्चिम एशिया, गाजा की स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई और कुछ हद तक यूक्रेन संघर्ष और उसके परिणामों पर भी विचार-विमर्श किया गया। यह डिजिटल शिखर सम्मेलन इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि पश्चिम एशिया में संघर्ष शुरू होने के बाद यह विश्व नेताओं की पहली बैठक थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बैठक में आतंकवाद की निंदा की गई, नागरिकों के जीवन के नुकसान पर गहरी चिंता जताने के साथ समय पर और पर्याप्त मानवीय सहायता प्रदान करने, संघर्ष को फैलने न देने और फलस्तीन मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजने की दिशा में चर्चा की गई। कुल मिलाकर जी-20 सदस्यों ने बंधकों की रिहाई, गाजा में राहत सामग्री पहुंचाने और कुछ समय के लिए संघर्ष विराम पर बनी सहमति का स्वागत किया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यदि आप इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को देखेंगे तो इजराइल-हमास संघर्ष पर भारत की नीति का स्पष्ट पता चल जायेगा। उन्होंने कहा कि बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इजराइल-हमास युद्ध क्षेत्रीय संघर्ष का रूप न ले और इस बात पर जोर दिया कि इजराइल-फलस्तीन मुद्दे को दो-राष्ट्र समाधान के साथ हल करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में व्याप्त असुरक्षा और अस्थिरता पर चिंता जताते हुए जी-20 नेताओं के डिजिटल शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा कि आतंकवाद हर किसी के लिए अस्वीकार्य है और नागरिकों खासकर बच्चों और महिलाओं की मौत चाहे कहीं भी हो, निंदनीय है। प्रधानमंत्री ने बंधकों की रिहाई की घोषणा की खबर का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता यथाशीघ्र प्रभावी ढंग से और सुरक्षित रूप से पहुंचाई जानी चाहिए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जी-20 के सभी नेताओं के विचार सुनने के बाद मोदी ने कहा कि पश्चिम एशिया की गंभीर स्थिति के संबंध में कई मुद्दों पर उनके बीच सहमति है और सर्वसम्मति के बिंदुओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने नेताओं के बीच सहमति के सात बिंदुओं में से एक का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्रीय-राजनीतिक तनाव को कम करने का एकमात्र साधन कूटनीति और बातचीत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 इन मुद्दों पर हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले एक साल में हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' पर भरोसा जताया है और विवादों से दूर जाते हुए हमने एकता और सहयोग के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि मैं उस क्षण को कभी नहीं भूल सकता जब दिल्ली में हम सभी ने जी20 में अफ्रीकी संघ का स्वागत किया था। जी20 द्वारा दुनिया को दिया गया समावेशिता का यह संदेश अभूतपूर्व है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं जिनके लिए वे जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ब्राजील के अगले महीने जी-20 की अध्यक्षता संभालने की तैयारी के बीच, लूला को अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वह वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ की भावना के साथ एकजुट होकर काम करेंगे।
प्रश्न-5. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल में संपन्न भारत की टू प्लस टू वार्ताओं से देश को क्या लाभ हुआ?
उत्तर- यह वार्ताएं सार्थक रहीं। उन्होंने कहा कि अमेरिका इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने के लिए तमाम तरह की वार्ताओं में व्यस्त रहा लेकिन इसके बावजूद उसने भारत के साथ टू प्लस टू वार्ता को महत्व दिया और इसके लिए अमेरिकी रक्षा और विदेश मंत्री भारत आये। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि भारत और अमेरिका के संबंध बेहद प्रगाढ़ हो रहे हैं और दोनों ही देश इस रिश्ते को समान महत्व देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह वार्ता लगभग उसी समय के दौरान हुई जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के महत्वपूर्ण दौरे पर थे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारत और आस्ट्रेलिया के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता की बात है तो वह भी काफी सार्थक रही। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी आर्थिक एवं सुरक्षा साझेदारी को गहरा करने का संकल्प जताया है और एक ‘‘मुक्त, स्वतंत्र, समावेशी एवं नियम आधारित’’ हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र चीन की बढ़ती आक्रामकता का गवाह बन रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) वार्ता पर आगे बढ़ने के महत्व को रेखांकित किया और इस विषय पर चर्चा की। दोनों देशों ने अपने छात्रों और पेशेवरों की दोनों देशों में आवाजाही अधिक सुगम बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के तरीके पर बात की। इसके अलावा दोनों देशों ने पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की। साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद, कट्टरवाद और चरमपंथ के मुद्दे पर भी चर्चा की। दूसरे भारत और ऑस्ट्रेलिया ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय संवाद में दोनों देशों ने सूचना के आदान-प्रदान और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को लेकर सहयोग और बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के तहत ऑस्ट्रेलियाई उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स और विदेश मंत्री पेनी वोंग से मुलाकात काफी सार्थक रही।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय संबंध ऐसे समय में पिछले एक साल में तेजी से मजबूत हुए हैं, जब दुनिया में अनिश्चितता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के लिए चीन सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और ‘‘सुरक्षा को लेकर सबसे बड़ी चिंता’’ भी है। उन्होंने कहा कि हम एक महासागर साझा करते हैं और इस अर्थ में हम पड़ोसी हैं तथा हमारे दोनों देशों के लिए मिलकर काम का इससे महत्वपूर्ण समय कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया को ‘‘असाधारण चुनौतियों’’ का सामना करना पड़ता है और दोनों देशों के लिए इनसे निपटने की योजना बनाना महत्वपूर्ण है।
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