8 उंगलियों पर भारत-चीन सीमा विवाद, कारगिल युद्ध का फायदा उठा ड्रैगन ने किया था सड़कों का निर्माण
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी हुई एलएसी के सबसे विवादित एरिया में से एक फिंगर एरिया। जब भी भारत चीन सीमा विवाद को लेकर चर्चा होती है को उसमें फिंगर एरिया का जिक्र जरूर होता है। पेंगांग झील का विवाद पुराना है और चीन की नीयत ने उसे पेचीदा भी बना दिया है और सबसे सुंदर झील विवाद की जड़ बन गई है। अभी हाल ही में खबर आई कि पैंगोंग झील से चीनी सैनिक लौटने लगे हैं। इन खाली कैंपों को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया है। नार्थ बैंक यानी की फिंगर एरिया से पहले ही चीनी सैनिक फिंगर फोर से लेकर फिंगर आठ के पीछे जा चुकी है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी हुई एलएसी के सबसे विवादित एरिया में से एक फिंगर एरिया। जब भी भारत चीन सीमा विवाद को लेकर चर्चा होती है को उसमें फिंगर एरिया का जिक्र जरूर होता है। पेंगांग झील का विवाद पुराना है और चीन की नीयत ने उसे पेचीदा भी बना दिया है और सबसे सुंदर झील विवाद की जड़ बन गई है। अभी हाल ही में खबर आई कि पैंगोंग झील से चीनी सैनिक लौटने लगे हैं। इन खाली कैंपों को बुलडोजर लगाकर ध्वस्त कर दिया गया है। नार्थ बैंक यानी की फिंगर एरिया से पहले ही चीनी सैनिक फिंगर फोर से लेकर फिंगर आठ के पीछे जा चुकी है। पैंगोंग त्यो से के उत्तर में पूरा इलाका है। ये करीब आठ पहाड़िया हैं जो कि उंगलियों की तरह दिखाई देती हैं। एक से आठ तक की ये फिंगर एरिया है। इसे बहुत ही विवादित इलाका माना जाता है।
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1962 के युद्ध में अक्साई चीन में घुसपैठ
1962 के युद्ध के दौरान जो भारतीय सेना की पोजीशन थी वो फिंगर एरिया के आगे थी यानी की अक्साई चीन के इलाके में भारतीय सेना की पोजीशन थी। लेकिन 1962 के युद्ध में भारत ने खुरनक फोर्ट के पास का एरिया गंवा दिया था। जिसके बाद से ही यहां पर चीनी सेना का कब्जा है। भारतीय सेना 1962 के युद्ध के बाद से ही फिंगर नंबर तीन पर स्थाई चौकी जिसे धनसिंह थापा पोस्ट के नाम से जाना जाता है। मेजर धनसिंह थापा दरअसल, भारतीय सेना के एक ऑफिसर थे। जो 1962 के युद्ध में सिरिजैप चौकी पर तैनात थे। उन्होंने बड़ी बहादुरी से चीनी सेना का मुकाबला किया था। इस युद्ध में भारतीय सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। मेजर धनसिंह थापा को चीनी सेना ने बंदी बना लिया था। सरकार और सेना ये भी मान चुकी थी कि मेजर थापा शहीद हो गए हैं। सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र देने का ऐलान तक कर डाला था। जब युद्ध खत्म हुआ तो चीन ने उन्हें रिहा करने का फैसला किया। उन्हीं के नाम पर फिंगर नंबर तीन पर भारत की परमानेंट पोस्ट धनसिंह थापा पोस्ट कहलाई। इस धनसिंह थापा पोस्ट पर आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं लेकिन जैसे ही टेंशन के हालात होते हैं ये भारतीय सेना के नियंत्रण में आ जाता है।
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1999 कारगिल युद्ध के दौरान चीन ने उठाया फायदा
1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध चल रहा था तो चीनी सेना ने इस फिंगर आठ से लेकर चार-पांच तक अपनी एक सड़क बना ली। ये कच्ची रोड थी। लेकिन उस वक्त भारत ने कोई ऐतराज नहीं किया था। क्योंकि भारत उस वक्त इस स्थिति में नहीं था कि दो मोर्चो पर एक साथ युद्ध लड़ सके। पाकिस्तान के साथ पहले से ही कारगिल युद्ध चल रहा था और भारत नहीं चाहता था कि दूसरा मोर्चा चीन के साथ खोला जाए। चीन ने जब इस एरिया में रोड बनाई तो उसके बाद ये मानने लगा कि फिंगर नंबर आठ से पांच तक का इलाका उसका है। भारत का दावा फिंगर आठ तक है जबकि चीनी सेना अपना दावा फिंगर 2-3 तक करती है।
पेट्रोलिंग के दौरान आमना-सामना
पेट्रोलिंग के दौरान दोनों देशों की सेना का आमना-सामना होता है। फिंगर 4 से भारतीय सेना फिंगर 8 तक पैदल गश्त करती है। पांच मई के बाद से चीन की सेना फिंगर 4 पर आ गई और वह भारतीय सेना को फिंगर 8 तक जाने नहीं दे रही थी। चीन फिंगर 4 के आगे जाना चाहता है। भारतीय सेना पहले की तरह फिंगर 8 तक गश्त लगाना चाहती लेकिन चीन को इस पर आपत्ति होने लगी।
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