बौद्ध परिपथ में अपर्याप्त संपर्क इसके पर्यटन में बाधा: राष्ट्रपति कोविंद

inadequate-contact-in-buddhist-circuit-obstructs-its-tourism-says-president-kovind
[email protected] । Aug 23 2018 6:14PM

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हमें अपनी क्षमता का लाभ उठाना चाहिए, इसके साथ ही हमें उन मुद्दों से पार पाने की जरूरत है जो हमें ऊपर चढ़ने से रोक रहे हैं ।

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि भारत में समृद्ध बौद्ध सर्किट के इतिहास की प्रदर्शनी तथा अंतिम छोर तक पहुंच का अभाव मुख्य रूकावट है और इसे दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि पर्यटन विरासत के इस विशेष क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल किया जा सके। छठे अंतरराष्ट्रीय बौद्ध कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में बौद्ध परिपथ बेहद महत्वपूर्ण है और यह एशिया और दुनिया के अन्य भागों में रहने वाले तकरीबन 50 करोड़ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अहम स्थान बन सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हमें अपनी क्षमता का लाभ उठाना चाहिए, इसके साथ ही हमें उन मुद्दों से पार पाने की जरूरत है जो हमें ऊपर चढ़ने से रोक रहे हैं । कुछ मुद्दे हैं जो सीमित बाजार शोध तथा बौद्ध सर्किट के इतिहास की अपर्याप्त प्रस्तुति से जुड़े हैं।’’ तीन दिवसीय कार्यक्रम का आरंभ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ सालों में हवाई सेवा को बढ़ाया गया है जबकि गंतव्य तक पहुंचने के लिए रेल या सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है। इसको दूर करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में ‘छोटी समस्याओं’ के बाद भी इतनी क्षमता है जो हमें शक्ति और उर्जा के साथ आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है। 30 देशों से आये प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मै आश्वस्त हूं कि इस कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयास से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। भगवान बुद्ध से जुड़े हेरिटेज पर्यटन स्थल हमें अधिक प्रबुद्ध मार्ग तक लेकर जायेंगे। 

इस मौके पर राष्ट्रपति ने वेबसाइट (www.indiathelandofbuddha.in) को लांच किया और देश में बौद्ध परिपथ को समर्पित फिल्म को जारी किया। इसे देशीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और श्रद्धालुओं को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। श्रद्धालुओं के बारे में कोविंद ने कहा कि सांस्कृतिक एवं धार्मिक यात्रा और पर्यटन भारत के लिए नये नहीं है। उन्होंने कहा कि हजारों सालों से बौद्ध भिक्षु, विद्वान और श्रद्धालु दुसरे देशों से भारत की यात्रा करते रहे हैं। यह हमारी सभ्यता के लिए बेहद गर्व का विषय है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़