Latur लोकसभा क्षेत्र में Congress ने 10 साल से अपनी सूखी राजनीतिक जमीन को फिर से सींचा, विधानसभा चुनाव में BJP के लिए बढ़ाई परेशानी
लातूर संसदीय क्षेत्र में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के शिवाजीराव कल्गे ने पार्टी की 10 साल बाद एक बार फिर वापसी करवाई है। यहां से सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस के शिवराज पाटिल सांसद बने हैं। महाराष्ट्र के दक्षिणी हिस्से में स्थित लातूर एक ऐतिहासिक स्थल है।
महाराष्ट्र के 48 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक लातूर संसदीय क्षेत्र भी एक है। जिस पर हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के शिवाजीराव कल्गे ने पार्टी की 10 साल बाद एक बार फिर वापसी करवाई है। यहां से सबसे ज्यादा 7 बार कांग्रेस के शिवराज पाटिल सांसद बने हैं। महाराष्ट्र के दक्षिणी हिस्से में स्थित लातूर एक ऐतिहासिक स्थल है। पंचगंगा नदी के तट पर बसे इस क्षेत्र को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। इस जिले में भारतीय पुराणों में वर्णित देवी महालक्ष्मी का मंदिर है जो भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है। यहां का बुद्धा पार्क मंदिर भी प्रमुख स्थल है। इस मंदिर में स्थांपित महात्मा बुद्ध की कई मीटर ऊंची प्रतिमा लोगों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है।
लातूर लोकसभा क्षेत्र महाराष्ट्र के सर्वाधिक सूखा प्रभावित जिलों में से एक लातूर और नांदेड़ जिलों के अंतर्गत आता है। जो लोहा, लातूर ग्रामीण, लातूर शहर, अहमदपुर, उदगीर और निलंगा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। जिसमें से 2019 के चुनाव में एक-एक सीट पर बीजेपी और पीडब्ल्यूपीआई भी जीतने में सफल रही थी। इसे लोकसभा क्षेत्र की लोहा विधानसभा सीट पर अब तक कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर राज्य की दोनों बड़ी पार्टियां जीत दर्ज कर चुकी हैं। साल 2019 में अंतिम बार हुए विधानसभा चुनाव में यहां से पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के नेता श्यामसुंदर दगडोजी शिंदे ने विजय हासिल की थी। उनके पहले यहां शिवसेना काबिज थी।
राज्य में 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए लातूर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र राज्य में कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ों में से एक माना जाता है। जिस पर पार्टी अब तक अपराजिता ही रही है। वर्तमान में इस क्षेत्र का धीरज विलासराव देशमुख पिछले 5 साल से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनके पहले कांग्रेस के ही त्रयंबकरराव भिसे विधायक थे। लातूर लोकसभा क्षेत्र की लातूर सदर सीट पूर्व केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र की सत्ता संभाल चुके विलासराव देशमुख के कारण भी जानी जाती है। इस सीट पर देशमुख परिवार 1980 के बाद से सिर्फ 1995 में ही एक बार चुनाव हारा है। 2009 में हुए परिसीमन के बाद से बिलासपुर के बेटे अमित देशमुख कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लगातार 15 साल से विधायक बने हुए हैं।
महाराष्ट्र की विधानसभा में 236 नंबर से जाने जानी वाली अहमदपुर विधानसभा सीट पर सर्वप्रथम 1951 में चुनाव हुए थे। जिसके बाद से यहां अब तक शिवसेना अपना खाता खोलने में नाकाम ही रही है। फिलहाल एनसीपी (शरद पवार) गुट के नेता बाबासाहेब मोहनराव पाटिल इस क्षेत्र की जनता की आवाज विधानसभा में पहुंचा रहे हैं। लातूर लोकसभा क्षेत्र की उदगीर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जिस पर बीजेपी ने लंबे समय तक राज किया है, लेकिन 2019 के चुनाव में अजित पवार के गुट वाली एनसीपी के संजय बाबूराव बनसोडे ने भाजपा के 10 साल के जीत के क्रम को तोड़ते हुए जीत दर्ज की थी। महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही अस्तित्व में आयी निलंगा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के राज्य में सबसे प्रचलित चेहरे रहे शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर आठ विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। वह अंतिम बार 2009 में कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव जीते थे। उनके बाद भाजपा के संभाजी पाटिल निलंगेकर का यहां 10 साल से कब्जा बना हुआ है।
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