अयोध्या सुनवाई का अहम दिन आज, मुस्लिम पक्ष ने श्रद्धा और स्कंद पुराण की दलीलों पर उठाया सवाल
राजीव धवन ने कहा किकभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई, वहां लगातार नमाज़ होती रही है। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अदालत में कहा कि ब्रिटिश सरकार ने 1854 में बाबरी मस्जिद के लिए ग्रांट दिया था।
नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुप्रीम कोर्ट में 6 अगस्त से शुरू हुई रोजाना सुनवाई का आज 38वां दिन है। सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद सुनवाई अब अपने अंतिम दौर में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट 17 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म करने को कहा गया है, ऐसे में अब सुनवाई के लिए सिर्फ चार दिन बचे हैं। सुनवाई के दौरान वकील अपनी-अपनी दलीलें जजों की बेंच के सामने रख रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। आज मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील पेश कर रहे हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन अदालत में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि जब शुक्रवार को चार दिन की बात तय हुई तो मैं हिंदू पक्ष की दलील का जवाब नहीं दे सका था। अब मैं पूरी रफ्तार से अपनी दलीलें रखूंगा, फैक्ट्स बता दिए गए हैं और अब सिर्फ कानून की बात रखूंगा।
Ayodhya land case in Supreme Court: 'There is nothing to suggest or show that the plaintiff (Nirmohi Akahara and others) are proprietors of the disputed land in question," said Dr Rajeev Dhawan,senior lawyer appearing for one of the Muslim parties. https://t.co/yeLKKyTIBD
— ANI (@ANI) October 14, 2019
राजीव धवन ने कहा किकभी भी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई, वहां लगातार नमाज़ होती रही है। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने अदालत में कहा कि ब्रिटिश सरकार ने 1854 में बाबरी मस्जिद के लिए ग्रांट दिया था। 1885 से 1989 तक हिंदू पक्ष की ओर से जमीन पर कोई दावा नहीं किया गयाधवन ने कहा कि मैं किसी डायरी, श्रद्धा या विश्वास की बात नहीं करूंगा। हिंदू पक्ष का विवादित स्थल पर कभी कब्जा नहीं रहा था, उन्हें सिर्फ पूजा का अधिकार मिला था। राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि दिलचस्प बात यह है कि इस केस की सुनवाई के दौरान सभी सवाल हमसे ही किये जाते हैं। कभी हिन्दू पक्ष से सवाल नहीं किया जाता। जिस पर हिन्दू पक्ष ने आपत्ति भी जताई। श्रद्धा राजीव धवन ने हिंदू पक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सिर्फ श्रद्धा और स्कन्द पुराण की बात करने से अयोध्या की विवादित ज़मीन पर हक नहीं मिलता है।
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