Muslims on Modi UCC: शरिया को छेड़ा तो...मोदी के ऐलान पर मुस्लिमों ने कर दिया साफ

Modi UCC
@narendramodi
अभिनय आकाश । Aug 20 2024 2:18PM

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सेक्युलर सिविल कोड’ पर दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। बोर्ड का कहना है कि मुसलमान शरिया कानून से समझौता नहीं करेंगे, इसलिए समान या सेक्युलर नागरिक संहिता स्वीकार नहीं होगी।

यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर किया था। अब उसको लेकर मुस्लिमों ने बड़ा ऐलान कर दिया है। देश का मुसलमान शरिया कानून से समझौता नहीं करेगा। आपको बता दें कि 15 अगस्त के दिन लाल किले से पीएम मोदी ने यूसीसी पर बहुत बड़ा बयान दिया था। पीएम मोदी ने यूसीसी पर देश की आजादी के दिन बड़ा बयान दिया तो इसके कुछ न कुछ मायने तो जरूर ही होंगे। पीएम मोदी के बयान के बाद सारे मुस्लिम संगठन घबरा गए हैं। धमकी देने पर उतर आए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सेक्युलर सिविल कोड’ पर दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। बोर्ड का कहना है कि मुसलमान शरिया कानून से समझौता नहीं करेंगे, इसलिए समान या सेक्युलर नागरिक संहिता स्वीकार नहीं होगी।

इसे भी पढ़ें: PM Modi ने सेकुलर सिविल कोड पर क्यों दिया जोर, किसको साधने की हुई कोशिश, विपक्ष की परेशानी क्या?

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (एससीसी) की जोरदार वकालत करते हुए भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का संकल्प व ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना साकार करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं व अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता भी जताई। देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं... उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो। 

इसे भी पढ़ें: Vanakkam Poorvottar: Assam-Mizoram ने Border Dispute को सुलझाने की दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल की

वैसे आपको बता दें कि भारत के संविधान का आर्टिकल 44 कहता है कि राज्यों को अपने नागरिकों के लिए सामान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रयास करना चाहिए। संविधान निर्माताओं ने अपने दौर में इसे लागू नहीं किया था और भविष्य में इसका फैसला संसद पर छोड़ दिया था। जिससे सहमति के बाद इसे बनाया जा सके। लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं हो पाया है। जब भी यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात होती है तो मुसलमान धमकी देने लग जाते हैं। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़