मैं राजनीतिक रूप से दुर्भावनापूर्ण अलोचनाओं से नहीं डरता: Chief Minister Siddaramaiah

Chief Minister Siddaramaiah
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कर्नाटक विधानमंडल के दोनों सदनों में सरकारी निगम में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर विपक्षी दलों द्वारा राज्य सरकार पर निशाना साधने और मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण ‘घोटाले’ का मुद्दा उठाने की उनकी योजना के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राजनीतिक रूप से दुर्भावनापूर्ण आलोचना के डर से चुप होकर बैठ जाना उनका स्वभाव नहीं है।

बेंगलुरु । कर्नाटक विधानमंडल के दोनों सदनों में सरकारी निगम में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर विपक्षी दलों द्वारा राज्य सरकार पर निशाना साधने और मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण ‘घोटाले’ का मुद्दा उठाने की उनकी योजना के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि राजनीतिक रूप से दुर्भावनापूर्ण आलोचना के डर से चुप होकर बैठ जाना उनका स्वभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पास विपक्ष के हर शब्द का जवाब है।उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) पर मीडिया के सामने झूठ बोलकर ‘हिट एंड रन’ रणनीति अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि सदन (विधानसभा/परिषद) में इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। 

सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विपक्षी दलों के आरोप कितने सच हैं? कितने झूठ? हम इसे इस सदन में प्रकाश में लाएंगे। राजनीतिक रूप से दुर्भावनापूर्ण आलोचना के डर से चुप होकर बैठ जाना मेरे स्वभाव में नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा और जद (एस) नेताओं, मेरे पास आपके हर शब्द का जवाब है। यह अब तक मीडिया के सामने झूठ बोलने, कहीं दूर खड़े होने और हवा में गोली चलाने जैसा नहीं है। यह सदन है, आपके ‘हिट एंड रन’ के लिए यहां कोई जगह नहीं है।’’ कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़ा अवैध धन अंतरण का मुद्दा तब सामने आया, जब इसके लेखा अधीक्षक चन्द्रशेखर पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली और अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ गए। 

सुसाइड नोट में यह आरोप लगाया गया है कि निगम से संबंधित 187 करोड़ रुपये का अनधिकृत रूप से अंतरण इसके बैंक खाते से किया गया और इसमें से 88.62 करोड़ रुपये को अवैध रूप से विभिन्न खातों में अंतरित किया गया जो कथित तौर पर जानीमानी आईटी कंपनियों और हैदराबाद स्थित एक सहकारी बैंक समेत अन्य से संबंधित हैं। अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बी नागेंद्र ने अपने खिलाफ आरोपों के बाद छह जून को इस्तीफा दे दिया था। वह फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं। मैसुरु शाहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामला प्राधिकरण द्वारा भूमि खोने वालों को भूखंडों के फर्जी आवंटन से जुड़ा है, जिसमें सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को दिए गए भूखंड शामिल हैं। 

एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले आधे-आधे की अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां एमयूडीए ने एक आवासीय ‘लेआउट’ विकसित किया था। विवादास्पद योजना में लेआउट बनाने के लिए अधिग्रहीत अविकसित भूमि के बदले भूमि खोने वालों को विकसित भूमि का 50 प्रतिशत आवंटित करने की परिकल्पना की गई है। भजपा और जद(एस) ने इन दोनों मामलों में सिद्धरमैया के इस्तीफे और सीबीआई जांच की मांग की है। एमयूडीए मामले में भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, ‘‘उन्हें विधानसभा में अपना मुद्दा उठाने दें, हम इसका जवाब देंगे, चाहे यह एमयूडीए हो या कोई अन्य मामला हो।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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