बीमारी पर भारी भूख, दिल्ली में भोजन के लिए हजारों कतारबद्ध
भूख और बेरोजगारी से जूझ रहे रामपाल को कोरोना वायरस और इसके खतरे के बारे में जानकारी है लेकिन वह इसकी शायद ही परवाह करता है और यमुना पुश्ता में दैनिक मजदूरों, बेघर लोगों और भिखारियों की भीड़ के साथ भोजन का इंतजार करता है।
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को आश्रय स्थल के बाहर पांच हजार लोग इकट्ठा हुए और पेट की भूख में वे कम से कम एक मीटर की सामाजिक दूरी बनाने और संक्रमण के खतरे की परवाह भी नहीं करते। इनमें से अधिकतर लोगों ने मास्क नहीं लगाया है जिससे वे बीमारी का आसानी से शिकार बन सकते हैं जिसके कारण पूरी दुनिया में पांच लाख 90 हजार लोग संक्रमित हुए हैं और 27 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में अभी तक 820 से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हुए हैं और 19 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब एक घंटे से प्रतीक्षारत रामपाल ने कहा, ‘‘मेरे पास क्या विकल्प है? मैं क्या कर सकता हूं? मैं दो दिनों से कुछ भी नहीं कमा पाया।’’ दूसरे आश्रय गृहों में भी यही हालात हैं। दिल्ली सरकार ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) से कहा है कि बेघरों प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में भोजन मुहैया कराई जाए जो लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।Delhi: Police personnel distribute food packets to the needy in Satbadi village near Mehrauli, amid #CoronavirusLockdown. pic.twitter.com/tgHoWSiVzG
— ANI (@ANI) March 28, 2020
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डीयूएसआईबी राष्ट्रीय राजधानी में 234 रात्रि आश्रय गृहों का संचालन करता है। डीयूएसआईबी के सदस्य ए के गुप्ता के मुताबिक वे प्रतिदिन 18 हजार लोगों को भोजन मुहैया करा सकते हैं लेकिन कभी-कभी इससे दोगुने लोगों को भोजन देना पड़ता है। सरकार भोजन पर प्रति व्यक्ति 20 रुपये खर्च करती है जिसमें चार रोटी या पुरी, चावल और दाल होता है।जंगपुरा में फुट ओवर ब्रिज पर बैठे भिखारी काशी ने कहा कि वह दयालु राहगीरों पर निर्भर है जिनकी संख्या बंद के कारण काफी कम गई है। पुलिस की कार्रवाई के खतरे के बीच चिट्टू यादव (55) ने अपना रिक्शा बाहर निकाला है ताकि कुछ पैसे कमा सके। उसने कहा, ‘‘मेरे बच्चे भूखे हैं और मेरे पास पैसे नहीं हैं।
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