Prajatantra: चंडीगढ़ में कैसे बिगड़ गया कांग्रेस-AAP का गेम, क्या यह इंडिया गठबंधन के लिए झटका है?
सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव अब मेयर ही कराएंगे। इस चुनाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा था क्योंकि यह भाजपा के खिलाफ विपक्ष के इंडिया गठबंधन की पहली चुनावी परीक्षा थी और आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच पहला गठबंधन भी देखा गया है।
भाजपा के मनोज सोनकर को मंगलवार को चंडीगढ़ का मेयर घोषित किया गया, जब उन्होंने मेयर चुनाव में कांग्रेस-आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को मिले 12 वोटों के मुकाबले 16 वोट हासिल किए। आठ वोट अवैध घोषित कर दिए गए, जिसके बाद विपक्षी नेताओं ने धांधली के आरोप लगाया। सोनकर के मेयर की सीट पर बैठने के बाद हंगामा हो गया। जैसे ही पीठासीन प्राधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मार्शलों को बुलाया गया। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव अब मेयर ही कराएंगे। इस चुनाव को महत्वपूर्ण माना जा रहा था क्योंकि यह भाजपा के खिलाफ विपक्ष के इंडिया गठबंधन की पहली चुनावी परीक्षा थी और आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच पहला गठबंधन भी देखा गया है।
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कैसे बिगड़ गया कांग्रेस-AAP का गेम
चंडीगढ़ नगर निगम में 35 सदस्यीय सदन में भाजपा के 14 पार्षद हैं। आप के 13 और कांग्रेस के सात पार्षद हैं। शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। इसमें स्थानीय सांसद को भी मतदान का अधिकार है। चंडीगढ़ से भाजपा की किरण खेर सांसद हैं। किरण खेर और अकाली के एक वोट को जोड़ ले तो बीजेपी की स्ट्रेंथ 16 पहुंचती है जबकि साझा उम्मीदवार उतारने वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की स्ट्रेंथ 20 पार्षदों की थी। जीत सुनिश्चित करने के लिए 19 वोट के आंकड़े तक पहुंचना जरूरी था। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए यह आसान भी लग रहा था। लेकिन जब नतीजे आए, बीजेपी जीत का परचम लहरा चुकी थी। दरअसल, कांग्रेस-AAP उम्मीदवार के पक्ष में पड़े 20 में से आठ वोट रिजेक्ट हो गए। इसके बाद साझा उम्मीदवार को मिले वैलिड वोट 12 ही बचे। और ऐसे में भाजपा की जीत हो गई।
AAP का आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में महापौर पद के लिए हुए चुनाव में सरेआम ‘‘बेईमानी’’ की गई और जिन लोगों ने ऐसा किया वे राष्ट्रीय चुनाव में किसी भी हद तक जा सकते हैं। पंजाब के सीएम और आप नेता भगवंत मान ने कहा कि आज का दिन हमारे देश के लोकतंत्र में 'काले दिन' के रूप में लिखा और याद किया जाएगा। दुर्भाग्य से, यह वही महीना है जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। आज संविधान को तार-तार कर दिया गया है। आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि इससे पता चलता है कि मेयर चुनाव के लिए बीजेपी सभी गैरकानूनी हथकंडे अपना सकती है और लोकसभा चुनाव में अपनी हार देखकर क्या करेगी? क्या बीजेपी इस देश को उत्तर कोरिया बनाना चाहती है? उन्होंने कहा कि हमें 12 वोट मिले और 8 अवैध घोषित कर दिए गए। भाजपा का एक भी वोट अवैध घोषित नहीं हुआ।
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भाजपा का दावा
चंडीगढ़ के नवनिर्वाचित मेयर मनोज सोनकर ने कहा कि आरोप लगाना उनका (आप-कांग्रेस) काम है।' जहां भी उनकी बात नहीं चलती, वे आरोप लगा देते हैं...सब कुछ कैमरे पर है।' लेकिन जब वे अपनी हार नहीं पचा सके तो उन्होंने यह माहौल बनाया और हम पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। मेयर के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने मतपत्र फाड़ना शुरू कर दिया और लोगों के साथ धक्का-मुक्की की। जब वे एक छोटा शहर नहीं चला सकते, तो वे एक राज्य कैसे चला सकते हैं?...उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करने दीजिए, हम गलत नहीं हैं। हम चुनाव जीत गये हैं। भाजपा ने ट्वीट कर कहा कि ये तो सिर्फ झांकी है। भाजपा की ओर से इसे इंडिया गठबंधन के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि आज चंडीगढ़ के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव हुए...जब कांग्रेस और आप मेयर चुनाव के लिए एक साथ आए तो इंडिया गठबंधन को लेकर काफी क्रेज था। इसके कुछ दिन बाद सीएम भगवंत मान ने ऐलान किया कि पंजाब में गठबंधन नहीं होगा और AAP अकेले चुनाव लड़ेगी...अगर सीएम इस तरह कांग्रेस का अपमान करेंगे तो उनकी प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक है...जब कुछ दिन पहले नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन छोड़ा तो सबका मनोबल टूट गया और ये कोई गठबंधन नहीं है।
चंडीगढ़ नगर निगम के बारे में
नगर निगम चंडीगढ़ (एमसीसी), जिसे चंडीगढ़ नगर निगम के रूप में भी जाना जाता है, वह नागरिक निकाय है जो पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ शहर को नियंत्रित करता है। चंडीगढ़ नगर निगम का गठन 1976 में पंजाब नगर निगम अधिनियम के तहत केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के भीतर किया गया था। बाद में पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ तक विस्तार) अधिनियम, 1994 (1994 का अधिनियम संख्या 45) द्वारा निगम को केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ तक बढ़ा दिया गया, जो 24 मई 1994 को लागू हुआ। महापौर नगर निगम का प्रमुख होता है। नगर निगम के पांच साल के कार्यकाल में, महापौर का कार्यालय, पहला और चौथा वर्ष महिलाओं के लिए आरक्षित है।
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