Prajatantra: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से दोस्ती, विधानसभा में दूरी, Haryana में AAP की रणनीति क्या?
लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को यह पता है कि कहीं ना कहीं हरियाणा में मुकाबला राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा। ऐसे में उसे एक सहयोगी दलों की आवश्यकता जरूर होगी जबकि विधानसभा चुनाव में यह स्थिति नहीं रहेगी। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव को लेकर केजरीवाल की ओर से क्षेत्रीय मुद्दों को उठाया जा रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि उनकी पार्टी हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव विपक्ष के गठबंधन के हिस्से के रूप में लड़ेगी। लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं जबकि हरियाणा विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में अक्टूबर में होने हैं। यह कही ना कही इंडिया गठबंधन के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात हो सकती है। साथ ही साथ यह हरियाणा की जनता के लिए असमंजस वाली स्थिति पैदा कर सकता है।
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केजरीवाल ने क्या कहा
आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने जींद में पार्टी की ‘बदलाव जनसभा’ को संबोधित किया। यह चुनाव से पहले आप की अपनी ताकत दिखाने की कोशिश थी। केजरीवाल ने कहा कि आज लोगों को केवल एक ही पार्टी पर भरोसा है, और वह आम आदमी पार्टी है। एक तरफ उन्हें पंजाब, तो दूसरी तरफ दिल्ली में हमारी सरकार दिखती है। आज हरियाणा एक बड़ा बदलाव चाहता है। इसके पहले दिल्ली और पंजाब के लोगों ने यह बड़ा बदलाव किया था और अब वहां के लोग खुश हैं। केजरीवाल ने कहा कि ‘आप’ हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीट पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन लोकसभा चुनाव विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के हिस्से के रूप में लड़ा जाएगा। इस कार्यक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि ‘आप’ हरियाणा में अगली सरकार बनाएगी और इसे देश नंबर एक राज्य बनाएगी।
आप की स्थिति
2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा की 90 में से 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव आयोग के अनुसार, हरियाणा में AAP का वोट शेयर 0.48 प्रतिशत था, जबकि NOTA (उपरोक्त में से कोई नहीं) के लिए यह 0.53 प्रतिशत था। आप ने अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव के लिए हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन किया था, लेकिन करारी हार के बाद उसने गठबंधन तोड़ दिया था। आप ने 3 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारी थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी ने 10 सीटें जीतीं और राज्य में किंगमेकर की भूमिका में उभरी।
आप की मांग
आम आदमी पार्टी हरियाणा में इंडिया गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हालांकि कांग्रेस के साथ मोल-भाव लगातार जारी है। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने हरियाणा के 10 सीटों में से कांग्रेस से चार सीटों पर मांग रखी है। यानी कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी चार सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जहां आगे बढ़ रही है तो वहीं पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्य में पेंच फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि लगता नहीं है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को हरियाणा में सीट देने के पक्ष में है।
अलग-अलग रणनीति क्यों?
लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को यह पता है कि कहीं ना कहीं हरियाणा में मुकाबला राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा। ऐसे में उसे एक सहयोगी दलों की आवश्यकता जरूर होगी जबकि विधानसभा चुनाव में यह स्थिति नहीं रहेगी। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव को लेकर केजरीवाल की ओर से क्षेत्रीय मुद्दों को उठाया जा रहा है। उन्हें पता है के स्थानीय मुद्दों को उठाकर हरियाणा में अपनी जमीन को मजबूत की जा सकती हैं। आम आदमी पार्टी लगातार हरियाणा में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश में है। खुद अरविंद केजरीवाल हरियाणा से आते हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं उनके लिए हरियाणा एक सम्मान का भी प्रश्न बना हुआ है। केजरीवाल ने कहा कि पूरा राज्य एक बड़े बदलाव की तलाश में है। आज, लोगों को केवल एक ही पार्टी - आप पर भरोसा है।
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आप का झटका
आप को हाल के दिनों में तीन बड़े झटके लगे जब उसके राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और पूर्व विधायक निर्मल सिंह, राज्य उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा और राज्य अभियान समिति के अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ दी। जहां सिंह और सरवारा कांग्रेस में लौट आए, वहीं तंवर भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के लिए आप की मांगों को स्वीकार करने का मतलब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले घुटने टेकना होगा। कांग्रेस का हरियाणा से कोई सांसद नहीं है, इसलिए सीटों पर उसका दावा पंजाब की तुलना में कमजोर है।
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