हनी ट्रैप मामला: HC ने निरस्त किया IMC अधिकारी हरभजन सिंह का निलंबन
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निलंबित आईएमसी अधिकारी हरभजन सिंह की याचिका बुधवार (तीन जून) को स्वीकार की।
इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित किये जाने का साढे़ आठ महीने पुराना आदेश निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही, आईएमसी को आदेश दिया है कि वह इस अधिकारी को बहाल करते हुए उसे बकाया वेतन-भत्ते का भुगतान करे। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निलंबित आईएमसी अधिकारी हरभजन सिंह की याचिका बुधवार (तीन जून) को स्वीकार की। एकल पीठ के विस्तृत आदेश की प्रति मामले से जुड़े वकीलों को शुक्रवार को प्राप्त हुई। अदालत ने अपने आठ पन्नों के आदेश में आईएमसी से कहा कि वह सिंह को उनके सरकारी पद पर बहाल करे।
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आदेश में यह भी कहा गया कि आईएमसी अधिकारी को 23 सितंबर 2019 की उनकी निलंबन तिथि से लेकर 45 दिन की अवधि तक जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी और इस मियाद के बाद उन्हें पूरा वेतन पाने का अधिकार होगा। निलंबन के वक्त सिंह आईएमसी में अधीक्षण इंजीनियर के पर पर नियुक्त थे। सिंह के वकील रोहित साबू ने उनके मुवक्किल के निलंबन आदेश की मौजूदा वैधता को यह कहते हुए उच्च न्यायालय में चुनौती दी कि नियमों के मुताबिक आईएमसी को इस कार्रवाई के 45 दिन के भीतर उन्हें विभागीय जांच के तहत आरोप पत्र प्रदान करना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उधर, बहस के दौरान आईएमसी के वकील ऋषि तिवारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले की नजीर पेश करते हुए तर्क रखा कि किसी निलंबित कर्मचारी को उसके विभाग द्वारा तय समयावधि में आरोप पत्र प्रदान नहीं किये जाने भर से उसका निलंबन आदेश शून्य नहीं हो जाता।
सिंह ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि हनी ट्रैप के आपराधिक मामले में वह शिकायतकर्ता हैं, लेकिन आईएमसी उनके साथ ‘आरोपी’ की तरह बर्ताव कर रहा है। गौरतलब है कि पुलिस ने सिंह की ही शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का औपचारिक खुलासा किया था। गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था। आईएमसी अधिकारी ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किये गये थे।
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हनी ट्रैप मामले के खुलासे के तत्काल बाद आईएमसी ने अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में सिंह को निलंबित कर दिया था। इस बीच, सिंह की बहाली के अदालती आदेश के बाद हनी ट्रैप मामले को लेकर सूबे में फिर राजनीति शुरू हो गयी है। यह मामला कमलनाथ नीत कांग्रेस सरकार के मार्च में हुए पतन के साथ ही ठंडे बस्ते में चला गया था। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने कहा, सिंह की बहाली का न्यायालयीन आदेश राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार के लिये करारा झटका है। इस आदेश को ऊपरी अदालत में तुरंत चुनौती दी जानी चाहिये। इसके साथ ही, कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में दर्ज किये गये हनी ट्रैप मामले का विस्तृत जांच के जरिये पूरा खुलासा किया जाना चाहिये।
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