उच्च न्यायालय ने विश्वभारती के पूर्व कुलपति की गिरफ्तारी पर 11 जनवरी तक लगाई रोक
अदालत ने कहा कि टिप्पणी की कि भादंसं की धारा 505(2) को लागू करने के लिए, कम से कम दो समूह होने चाहिए जिनके बीच धर्म, नस्ल आदि के आधार पर द्वेष पैदा की जा सकती है या बढ़ावा दिया जा सकता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुलिस को निर्देश दिया कि विश्वभारती के पूर्व कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती को उनके द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे गए एक पत्र के मामले में 11 जनवरी तक गिरफ्तार नहीं किया जाए।
चक्रवर्ती ने अपनी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले सात नवंबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। एक व्यक्ति ने इस पत्र की सामग्री को लेकर शांतिनिकेतन थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस पत्र में कविता एवं चित्रकला के बारे में बनजी की दिचलस्पी को लेकर कथित रूप से टिप्पणी की गयी है।
चक्रवर्ती के खिलाफ यह प्राथमिकी दंड संहिता की धारा 505(2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत दर्ज की गई है। न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने पुलिस को 11 जनवरी तक चक्रवर्ती को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया। उसी दिन अदालत मामले की दोबारा सुनवाई करेगी।
अदालत ने कहा कि टिप्पणी की कि भादंसं की धारा 505(2) को लागू करने के लिए, कम से कम दो समूह होने चाहिए जिनके बीच धर्म, नस्ल आदि के आधार पर द्वेष पैदा की जा सकती है या बढ़ावा दिया जा सकता है।
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