'रेवड़ी कल्चर' के मामले में हुई सुनवाई, SC ने बताया बहुत ही गंभीर मुद्दा, केंद्र को समाधान खोजने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर की जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से तर्कहीन मुफ्त का वादा करने या वितरित करने वाले दलों की मान्यता को रद्द किया जाए।
चुनाव से पहले पार्टियों द्वारा मुफ्त उपहार बांटने के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायधीश ने इसे एक बहुत ही गंभीर मुद्दा बताया। इसके साथ ही सीजेआई की तरफ से केंद्र सरकार से स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कदम भी उठाने को कहा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर की जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से तर्कहीन मुफ्त का वादा करने या वितरित करने वाले दलों की मान्यता को रद्द किया जाए। चुनाव आयोग की तरफ से कोर्ट में पेश वकील ने बताया कि मुफ्त उपहार और चुनावी वादों से संबंधित नियमों को आदर्श आचार संहिता में शामिल किया गया है। लेकिन इसमें दंडित करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई भी कानून सरकार को बनाना होगा।
कपिल सिब्बल ने कहा- ये वित्त आयोग का काम
सीजेआई रमना ने कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि वो भी अपने अनुभव से इस मामले में अपनी राय दे सकते हैं। सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि इसमें केंद्र सरकार का कोई ज्यादा रोल नहीं है। ये काम वित्त आयोग को देखना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वित्त आयोग ही निष्पक्ष एजेंसी है जो राज्यों को फंड देती है। सिब्बल ने कहा कि सीधे सरकार पर इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी डालने से कोई हल नहीं निकलेगा। कोर्ट ने इस मामले के लिए सुनवाई की अगली तारीख 3 अगस्त की तय की है।
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बता दें कि इसी साल जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर की जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह राजनीतिक दलों को चुनाव से पहले सार्वजनिक निधि से तर्कहीन मुफ्त का वादा करने या वितरित करने वाले दलों की मान्यता को रद्द किया जाए।
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