Mohammad Hamid Ansari Birthday: लगातार दो बार भारत के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी, आज मना रहे 88वां जन्मदिन

Mohammad Hamid Ansari Birthday
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भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी आज यानी की 01 अप्रैल को अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। हामिद अंसारी ने लगातार दो बार देश का सर्वोच्च पद संभाला है। बता दें कि वह एक शिक्षाविद तथा प्रमुख राजनेता हैं।

भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी आज यानी की 01 अप्रैल को अपना 88वां जन्मदिन मना रहे हैं। हामिद अंसारी ने लगातार दो बार देश का सर्वोच्च पद संभाला है। उन्होंने IFS ऑफिसर से उपराष्ट्रपति तक का सफर तय किया और वह विदेशों में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं और एक शिक्षाविद तथा प्रमुख राजनेता हैं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर मोहम्मद हामिद अंसारी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

कोलकाता में 01 अप्रैल 1937 को हामिद अंसारी का जन्म हुआ था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल की थी। फिर इसके बाद हामिद अंसारी ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी और भारतीय विदेश सेवा में शामिल हो गए। 

करियर

उनको संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। हामिद अंसारी आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। बाद में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात, अफगानिस्तान और ईरान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया था। वहीं साल 1993-95 तक हामिद अंसारी UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे हैं।

दो बार रहे उपराष्ट्रपति

बता दें कि मोहम्मद हामिद अंसारी एक बार नहीं बल्कि लगातार दो बार भारत के उपराष्ट्रपति बने। साल 2007 में वह पहली बार भारत के 12वें उपराष्ट्रपति बने थे। फिर साल 2012 में वह फिर से उपराष्ट्रपति बने। वह डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन और श्री कृष्णा सिंह के बाद लगातार 2 बार उपराष्ट्रपति बने थे। इसके अलावा वह AMU के कुलपति भी रह चुके हैं। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

पद्म विभूषण ठुकराया

साल 2024 में भारत सरकार ने मोहम्मद हामिद अंसारी को पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने की पेशकश की। लेकिन उन्होंने यह पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था। उनका कहना था कि देश के विकास में उनका योगदान उनके स्वाभाविक कर्तव्यों का हिस्सा था। इसलिए वह इसको व्यक्तिगत सम्मान के तौर पर नहीं लेना चाहते हैं।

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