सरकार ने किसानों से किया छल, MSP को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए: कांग्रेस
पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने यह सवाल भी किया कि जिस कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के आधार पर ये ढाई-तीन प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की गई है उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जाखड़ ने कहा, ‘‘एमएसपी में नाम मात्र की बढ़ोतरी की गई है। यह ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं है। यह छलावा है। जिस सीएसीपी की रिपोर्ट के आधार पर ये बढ़ोतरी की गई है उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया?’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे और स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करेंगे। लेकिन यही हालत रही तो अगले 10 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी नहीं होगी।’’ जाखड़ के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट के इन हालात के अंदर सरकार को किसानों के संदर्भ में अपनी नीति साफ करनी होगी। उन्होंने आग्रह किया कि प्रधानमंत्री मोदी एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाएं ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिल सके।Farmer Left to Fend for Themselves; You Cannot Reboot the Economy by Booting the Farmers- Shri @sunilkjakhar Press Briefing
— INC Sandesh (@INCSandesh) June 2, 2020
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कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जिन सुधारों की चर्चा चल रही है उनका कोई मसौदा भी तैयार नहीं हुआ है। इनके बारे में सिर्फ सरकार के भीतर चर्चा चल रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14 खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने को सोमवार को मंजूरी दी। मंत्रिमंडल के निर्णयों के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया था कि एमएसपी बढ़ाने से किसानों को लागत की तुलना में 50 से 83 प्रतिशत तक अधिक कीमत मिलना सुनिश्चित होगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि फसल वर्ष 2020-21 के लिये धान का एमएसपी 53 रुपये बढ़ाकर 1,868 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी गयी। उन्होंने कहा था कि कपास का एमएसपी 260 रुपये बढ़ाकर 5,515 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
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