Husband-Wife के बेडरूम में कोर्ट की एंट्री से सरकार को ऐतराज, पत्नी से जबरदस्ती अपराध या नहीं?

court
ANI
अभिनय आकाश । Oct 5 2024 4:07PM

रेप के मामले में जो भी कानून या प्रोसीजर हैं वो विवाह के मामले में लागू नहीं होते हैं। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आठ याचिकाएं हैं, जिन पर सुनवाई हो रही है। कुछ संगठनों ने तर्क दिया है कि मैरिटल रेप को अलग रखना असंवैधानिक है। वहीं कुछ संगठन इसके फेवर में हैं और उन्होंने ने भी याचिकाएं दाखिल की है।

सुप्रीम कोर्ट इन दिनों मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस पर केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना स्टैंड दाखिल किया है। भारतीय न्याय संहिता के अनुसार अगर कोई पुरूष किसी महिला की सहमति के बिना उसके साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे बलात्कार माना जाता है। इस जुर्म के लिए कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है। इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अगर कोई आदमी अपनी पत्नी के साथ कोई भी बिना सहमति वाला संबंध बनाता है तो उसे बलात्कार नहीं माना जाता है। भारतीय न्याय संहिता से पहले भारतीय दंड संहिता होती थी, उसमें भी यही था। मतलब रेप के मामले में जो भी कानून या प्रोसीजर हैं वो विवाह के मामले में लागू नहीं होते हैं। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आठ याचिकाएं हैं, जिन पर सुनवाई हो रही है। कुछ संगठनों ने तर्क दिया है कि मैरिटल रेप को अलग रखना असंवैधानिक है। वहीं कुछ संगठन इसके फेवर में हैं और उन्होंने ने भी याचिकाएं दाखिल की है। 

इसे भी पढ़ें: Yes Milord: SC ने करवाया मजदूर के बेटे का IIT में एडमिशन, बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने क्यों कहा- नहीं माना तो अफसरों को जेल भेज देंगे

सुप्रीम कोर्ट में कैसे पहुंचा मामला

मैरिटल रेप में अलग-अलग हाई कोर्ट का अलग-अलग फैसला आया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2023 में फैसला दिया था कि पति के खिलाफ जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने का केस नहीं चल सकता है। रेप मामले में पति को अपवाद में रखा गया है। गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि रेप तो रेप है भले ही आरोपी पति ही क्यों न हो। इससे पहले 18 सितंबर को एक अन्य याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह ने भी इस मामले को उठाया था और जल्द सुनवाई की मांग की थी। अर्जी में मांग की गई है कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए। अभी बालिग पत्नी के साथ पति द्वारा बनाए गए जबरन संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। मैरिटल रेप में अलग अलग हाई कोर्ट का अलग अलग फैसला आया था।

कानून में मैरिटल रेप है अपवाद

आईपीसी की धारा-375 या फिर भारतीय न्याय संहिता की धारा-63 में रेप को परिभाषित किया गया है। कानून कहता है कि अगर कोई शख्स किसी भी महिला के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। साथ ही बालिक पत्नी के साथ जबरन संबंध रेप का अपवाद होगा। पत्नी नाबालिग है तो फिर रेप केस दर्ज होगा लेकिन पत्नी बालिग है तो फिर पति को रेप के अपवाद में रखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट बंद कमरे में दे चुका कई अहम फैसले

सुप्रीम कोर्ट बंद कमरे से संबंधित मामले में कई अहम फैसला दे चुका है। लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता मिल चुकी है। दो बालिग समलैंगिक को मान्यता मिल चुकी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट नाबालिग पत्नी के साथ जबरन संबंध के मामले को रेप की श्रेणी में लाने का फैसला दे रखा है। लेकिन यह मामला बालिग पत्नी का है। अब देखना है कि कोर्ट इस मामले में क्या व्याख्या देती है।

इसे भी पढ़ें: Rani Lakshmi Bai statue: दिल्ली HC ने तीन सदस्यीय टीम गठित करने का दिया निर्देश, 7 अक्टूबर को अगली सुनवाई

मैरिटल रेप अपराध बना तो असर गंभीर

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि अगर मैरिटल रेप को अपराध बनाया तो शादीशुदा संबंधों पर गंभीर असर पड़ सकता है। सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि पति का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह पत्नी की सहमति का उल्लंघन करे। गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि संशोधित नियमों के गलत इस्तेमाल से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। किसी व्यक्ति के लिए यह साबित करना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होगा कि संबंधों की सहमति थी या नहीं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़