कांग्रेस पार्टी को गुलाम नबी आजाद ने क्यों छोड़ा? पांच पन्नों के लेटर में किया हर उस बात का जिक्र जिसने कांग्रेस को बर्बाद किया!
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हो गयी हैं। आजाद ने सीधे-सीधे राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए अपना त्यागपत्र दे दिया हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राहुल गांधी ने अपनी एक टीम बना रखी हैं वह वरिष्ठ नेता को साइडलाइन रखते हैं।
नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हो गयी हैं। आजाद ने सीधे-सीधे राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए अपना त्यागपत्र दे दिया हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राहुल गांधी ने अपनी एक टीम बना रखी हैं वह वरिष्ठ नेता को साइडलाइन रखते हैं। किसी भी चीज में वरिष्ठ नेता की राय भी नहीं ली जाती। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बर्बाद हो गयी हैं। उन्होंने अपना इस्तीफा सोनियां गांधी को लिखा हैं। पांच पन्नों के लेटर में उन्होंने बहुत सी बातों को सोनिया गांधी के सामने रखा हैं। यह भी कहा है कि सोनिया गांधी के फैसलों में भी अब राहुल गांधी की ही नीतियां दिखाई पड़ती हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संगठनात्मक चुनाव से पूर्व को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया तथा नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया। आजाद के इस्तीफे को, पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी पर एक और आघात माना जा रहा है। पूर्व में कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं।
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आइये दिखादे हैं कि आजाद ने अपने लेटर में क्या क्या बातें लिखी हैं:
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पृष्ठ के त्यागपत्र में अपनी शिकायतों का सिलसिलेवार उल्लेख किया। आजाद ने कहा कि वह ‘भारी मन’ से यह कदम उठा रहे हैं। उन्होंने पार्टी को ‘‘पूरी तरह से बर्बादहो गयी’’ बताया और कहा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिये और प्रदेश स्तर पर क्षेत्रीय दलों के लिये स्थान खाली कर दिया।
यहां जानिए उन्होंने राहुल गांधी के बारे में क्या कहा:
राहुल गांधी का बचकाना व्यवहार
उन्होंने कहा कि इस अपरिपक्वता के सबसे स्पष्ट उदाहरणों में से एक राहुल गांधी द्वारा मीडिया की पूरी चकाचौंध में एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ना था। उक्त अध्यादेश को कांग्रेस कोर ग्रुप में शामिल किया गया था और बाद में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था। इस "बचकाना व्यवहार ने प्रधान मंत्री और भारत सरकार के अधिकार को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।"
राहुल द्वारा ध्वस्त की गई सलाहकार प्रक्रिया
दुर्भाग्य से, राजनीति में श्री राहुल गांधी के प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, तो उनके द्वारा पहले मौजूद संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया गया था।"
अनुभवी नेताओं से किया किनारा
आजाद ने आरोप लगाया, ‘‘ यह सब इसलिये हुआ क्योंकि बीते आठ वर्षो में नेतृत्व ने एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी पर थोपने का प्रयास किया जो गंभीर नहीं था।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि दरबारियों के संरक्षण में कांग्रेस को चलाया जा रहा है तथा पार्टी देश के वास्ते सही चीजों के लिये संघर्ष करने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है।
पार्टी में बदलाव की मांग करने वाले जी23 समूह का हिस्सा रहे आजाद ने कहा, ‘‘ इसलिये खेदपूर्वक और बेहद भारी मन से मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने करीब 50 वर्षो के संबंध को समाप्त करने का फैसला किया है। मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से त्यागपत्र देता हूं। ’’
बड़े पैमाने पर धोखे के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार
उन्होंने पार्टी में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को ‘धोखा’ करार देते हुए कहा कि देश में कहीं भी, पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव संपन्न नहीं हुए। आजाद ने सोनिया को लिखे पत्र में कहा कि 24 अकबर रोड में बैठे एआईसीसी के चुने हुए पदाधिकारियों को एआईसीसी का संचालन करने वाले छोटे समूह द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि बूथ, ब्लाक, जिला और राज्य स्तर पर कहीं भी मतदाता सूची प्रकाशित नहीं की गई। उन्होंने कहा कि पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर धोखे के लिए नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार है। आजाद ने कहा कि क्या भारत की आजादी के 75वें वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिये यह उपयुक्त है, यह सवाल एआईसीसी नेतृत्व को खुद से पूछना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ निकालनी चाहिए थी। आजाद ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस में स्थिति इस स्तर पर पहुंच गई है कि वापसी का रास्ता नहीं दिख रहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी की कमजोरियों पर ध्यान दिलाने के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को अपशब्द कहे गए, उन्हें अपमानित किया गया, नीचा दिखाया गया। आजाद पार्टी के ‘जी23’ समूह के प्रमुख सदस्य रहे हैं। हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था।
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