जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, PK, आरसीपी और अब ललन सिंह, नीतीश को मात दे पाना क्यों नहीं है आसान, सेंधमारी की कोशिशों को चुटकी में कर देते हैं हवा-हवाई

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अभिनय आकाश । Dec 29 2023 5:51PM

बिहार की एक क्षेत्रिय पार्टी जेडीयू जिसमें सेंधमारी की कोशिशें कई हुई और इसे बड़े दलों की ओर से हवा भी मिली लेकिन इन तमाम प्रयासों को नीतीश कुमार ने चुटकी में हवा हवाई कर दिया।

बिहार राजनीति, कूटनीति और अर्थशास्‍त्र के पंडित माने जाने वाले चाणक्‍य की धरती है, जिसने चंद्रगुप्‍त मौर्य को पाटलिपुत्र पर राज करने के तरीकों और राजनीति के रहस्‍यों से रूबरू करवाया था। बिहार की गद्दी पर पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से विराजमान नीतीश कुमार को मात दे पाना सियासी दलों और राजनेताओं के लिए आसान कभी न रहा है। बिहार की एक क्षेत्रिय पार्टी जेडीयू जिसमें सेंधमारी की कोशिशें कई हुई और इसे बड़े दलों की ओर से हवा भी मिली लेकिन इन तमाम प्रयासों को नीतीश कुमार ने चुटकी में हवा हवाई कर दिया। ताजा मामले में ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटा नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने एक्शन से साफ़ कर दिया है कि नीति सिद्धांत जो वो कहेंगे वही हैं और उन्हें किसी के साथ विचार विमर्श या नसीहत की ज़रूरत नहीं। 

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जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर से सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी अध्यक्ष की कमान संभाल ली। नीतीश कुमार ललन सिंह को उनके पद से हटाने की तैयारी पिछले कई दिनों से कर रहे थे। मीडिया सूत्रों से जानकारी सामने आई कि ललन सिंह ने जेडीयू के 10-11 विधायकों के साथ सीक्रेट मीटिंग की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया कि ललन सिंह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। इससे संबंधित प्रस्ताव ललन सिंह ने नीतीश कुमार के सामने भी रखा था जिसे बिहार सीएम ने ठुकरा दिया था। जिसके बाद लालू यादव के साथ डील के तहत ललन सिंह ने जदयू के कुछ विधायकों के साथ गुपचुप मीटिंग की। ललन सिंह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के मिशन में लगे और बदले में उन्हें राजद से राज्यसभा भेजे जाने का प्रस्ताव भी मिला। सूत्रों ने दावा किया कि मनोज झा का कार्यकाल खत्म हो रहा है और लालू ने तेजस्वी को सीएम बनाने की एवज में ललन सिंह को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव दिया। ललन सिंह इस बार मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं। 

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि नीतीश ने अध्यक्ष पद की कुर्सी से किसी नेता को हटाते हुए खुद से ये जिम्मेदारी ली हो। इससे पहले इतिहास में ढेरों ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं, जब जेडीयू में टूट की खबर और किसी नेता के सीक्रेट बैठक को लेकर जानकारी सामने आई हो और नीतीश ने ऐसा फैसला लिया हो। शरद यादव से लेकर ललन सिंह तक किरदार बदलते रहे लेकिन कहानी कमोबेश वही रही। इन सब से सबसे महत्वपूर्ण है कि ऑपरेशन जदयू को कई नेताओं और दलों की तरफ से अंजाम देने की कोशिश की गई। लेकिन नीतीश कुमार ने समय रहते हुए न केवल खतरे को भांपा बल्कि उसे मजबूती के साथ काउंटर करते हुए सबसे बड़े लड़ैया बनकर उभरे भी है। 

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शरद पवार से लेकर जॉर्ज फर्नांडीस तक

असहमत होने पर जॉर्ज फर्नांडिस जैसे समता पार्टी के संस्थापक, शरद यादव जैसे धुरंधर और जय नारायण निषाद व कुशवाहा जैसे अनेक उदाहरण इतिहास को टटोलने पर मिल जाएंगे जो असहमति जताने पर एक झटके में बाहर कर दिए गए।  शरद शादव और नीतीश के बीच मनमुटाव तब पैदा हुआ जब नरेंद्र मोदी को पीएम कैंडिडेट घोषित किया गया। इस फैसले से नीतीश इतने नाराज हुए कि उन्होंने एनडीए से 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया। तब शरद यादव एनडीए के संयोजक हुआ करते थे और उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा लालू के साथ जाना भी यादव को नगावर गुजरा और उन्होंने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। परिणामस्वरूप नीतीश ने एक झटके में शरद यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

पीके को पल झपकते ही कर दिया आउट

16 सितंबर 2018 को प्रशांत कुर्ता-पायजामा में नजर आए और इसी तारीख से उनके चुनावी रणनीतिकार से राजनेता का सफर भी शुरू हुआ। 16 सितंबर की सुबह पटना में जदयू मुख्यालय में नीतीश कुमार के हाथों उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली। जिसके एक महीने के भीतर ही नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया। लेकिन कल तक प्रशांत का हाथ पकड़कर उन्हें राजनीति का भविष्य बताने वाले नीतीश सरकार को लेकर आम चुनाव से पहले एक कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने कह दिया कि नीतीश कुमार को राजद से गठबंधन तोड़ने के बाद फिर से चुनाव कराना चाहिए था। जिसके बाद चुनावी भागीदारी से अपनी पार्टी में ही प्रशांत किशोर दरकिनार कर दिए गए थे। 

आरसीपी सिंह को कर दिया आउट

नीतीश के गृह जिले नालंदा के मुस्तफापुर गांव के रहने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी थे। वह नीतीश के स्वजातीय यानी कुर्मी हैं।  नीतीश ने उन्हें 2010 में ही राज्यसभर भेज दिया फिर 2020 में जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवा दिया लेकिन दोनों नेताओं में दूरियां तब बढ़ने लगीं, जब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में आरसीपी  मंत्री बन गए। आरसीपी पार्टी अध्यक्ष भी थे लेकिन आरसीपी ने तब खुद को ही मंत्री बनवा लिया। नीतीश इससे नाराज हो गए। वह नीतीश के निशाने पर आ गए। दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। 2021 में उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। उनकी जगह जुलाई 2021 में ललन सिंह को यह पद सौंपा गया। बाद में बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की तरफ से नई टीम की घोषणा की गई। 18 सदस्यीय टीम में एक प्रधान महासचिव, एक संसदीय बोर्ड के अध्‍यक्ष, एक काेषाध्‍यक्ष, नौ महासचिव और पांच सचिव शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने पार्टी की नई टीम में पुराने चेहरों पर ज्यादा भरोसा जताया है, लेकिन कई नए चेहरे भी टीम में शामिल किए हैं।

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