वाजपेयी के कहने पर तय हुआ था गांधी की मूर्ति का स्थान, जो बन गया है धरना स्थल
दिल्ली हिंसा पर सरकार के रवैये से नाराज विपक्षी सांसद संसद भवन के भीतर स्थित गांधी प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। आपको बता दें कि शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में अभी तक कोई कामकाज नहीं हो पाया है। रोजाना सत्र हंगामे के चलते स्थगित कर दिया जाता है।
नयी दिल्ली। दिल्ली हिंसा पर सरकार के रवैये से नाराज विपक्षी सांसद संसद भवन के भीतर स्थित गांधी प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। आपको बता दें कि शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में अभी तक कोई कामकाज नहीं हो पाया है। रोजाना सत्र हंगामे के चलते स्थगित कर दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि महात्मा गांधी की जिस प्रतिमा के समक्ष विपक्षी सांसद धरना देते हैं वो कब लगी थी।
महात्मा गांधी की प्रतिमा
साल 1993 में लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल ने महात्मा गांधी की प्रतिमा संसद भवन में लगाने का फैसला किया था। जिसके बाद मूर्तिकार राम सुतार ने महात्मा गांधी की ध्यानमग्न अवस्था में बैठे हुए एक प्रतिमा बनाई। जिसकी ऊंचाई 16 फीट थी। मूर्ति बन जाने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ कि इसे संसद परिसर के किस हिस्से में लगाया जाए। उस वक्त फिर शिवराज पाटिल ने उच्च सदन की उपसभापति नजमा हेपतुल्ला और अटल बिहारी वाजपेयी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी।
विजय त्रिवेदी की किताब (हार नहीं मानूंगा) के मुताबिक मूर्ति को गेट नंबर एक के बिल्कुल सामने रखने की निर्णय लिया गया लेकिन वाजपेयी को वह स्थान पसंद नहीं आया था। दरअसल, वाजपेयी मानते थे कि महात्मा गांधी के कद के हिसाब से वह स्थान सही नहीं है।
इसे भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर लोकसभा में होली के बाद होगी चर्चा: लोकसभा अध्यक्ष
ऐसे में फिर वाजपेयी की बात पर ध्यान दिया गया और महात्मा गांधी की मूर्ति के लिए स्थान बनाया गया और पुरानी दीवार को गिराकर डी शेप में दीवार तैयार की गई थी। बता दें कि मूर्ति का अनावरण 2 अक्टूबर 1993 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने किया था।
इसे भी देखें: दिल्ली हिंसा पर चर्चा के लिए सरकार तैयार, विपक्ष का हंगामा दूसरे दिन भी जारी
अन्य न्यूज़