गडकरी ने माना कि पिछले पांच साल में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में उनके विभाग को सफलता नहीं मिली
मंत्री ने कहा कि विधेयक स्थाई समिति और संयुक्त प्रवर समिति दोनों में गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल में बहुत प्रयास किये लेकिन विधेयक को पारित नहीं करा पाए। गडकरी ने कहा कि इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए और सरकार सभी से बातचीत को तैयार है।
नयी दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को स्वीकार किया कि देश में पिछले पांच साल में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में उनके विभाग को सफलता नहीं मिली है और उन्होंने उम्मीद जताई कि मोटर यान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद सड़क हादसों से लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी। गडकरी ने लोकसभा में ‘मोटर यान (संशोधन) विधेयक, 2019’ विधेयक को पेश करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था। गडकरी के अनुसार उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित कर इस विषय का अध्ययन कराया जिसमें 18 राज्यों के परिवहन मंत्री शामिल रहे।
इसे भी पढ़ें: अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल: जी किशन रेड्डी
मंत्री ने कहा कि विधेयक स्थाई समिति और संयुक्त प्रवर समिति दोनों में गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल में बहुत प्रयास किये लेकिन विधेयक को पारित नहीं करा पाए। गडकरी ने कहा कि इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए और सरकार सभी से बातचीत को तैयार है। सड़क हादसों से लोगों की जान बचाने के लिए विधेयक को संसद की मुहर लगवाना जरूरी है।सड़क हादसों के संदर्भ में चिंता जताते हुए सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल में देश में सड़क हादसों में केवल 3.5 से 4 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे विभाग की सबसे बड़ी विफलता है, मैं इसे स्वीकार करता हूं।’’उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने सड़क दुर्घटनाओं में 15 प्रतिशत तक कमी लाने में सफलता हासिल की है और हम वहां के प्रयोग को पूरे देश में अपनाने के बारे में विचार करेंगे। उन्होंने विधेयक में राज्यों के अधिकार लिये जाने संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि परिवहन समवर्ती सूची का विषय है और केंद्र तथा राज्य दोनों को इस संबंध में निर्णय के अधिकार हैं। गडकरी ने कहा कि विधेयक पारित होने के बाद यह किसी राज्य के लिए अनिवार्य नहीं होगा और वह चाहेगा तो इसे लागू कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम राज्यों के अधिकार इस विधेयक के माध्यम से नहीं ले रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: आपके पास 352 से ज्यादा का जनादेश है, आपने साहसिक कदम क्यों नहीं उठाए: चिदंबरम
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह राज्यों के अधिकारों का हनन करता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण के राज्यों के अधिकारों को लेता है।कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक पेश करने से पहले राज्य सरकारों को विश्वास में लिया जाना चाहिए था।गडकरी ने यह भी कहा कि देश में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस की भरमार है और भारत में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना सबसे आसान है। लोगों के मन में जुर्माना भरने आदि को लेकर कोई डर नहीं है। इसलिए उक्त विधेयक पारित होना जरूरी है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि, यातायात के नियमों और विनियमों आदि की अवहेलना के कारणों के मद्देनजर मंत्रालय में विभिन्न पक्षकारों से शिकायतों एवं सुझाव प्राप्त हुए । ऐसे में सड़क सुरक्षा और परिवहन प्रणाली में सुधार करने के लिये मोटर वाहन अधिनियम 1988 में तुरंत संशोधन की जरूरत महसूस हुई ताकि परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा और दक्षता के मुद्दों का समाधान किया जा सके। प्रस्तावित मोटर यान संशोधन विधेयक 2019 सड़क सुरक्षा, नागरिकों की सुविधा, सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ बनाने, स्वचालन और कंम्प्यूटरीकरण से संबंसित मुद्दों का समाधान करने के लिये है । इसमें कहा गया है कि दुर्घटन से पीड़तों और उनके कुटुंबों को तुरंत सहायता उपलब्ध कराने के लिये सरल उपबंधों के साथ बीमा के विद्यमान उपबंधों को प्रतिस्थापित किया जायेगा। चालन अनुज्ञप्ति के नवीकरण के लिये समयसीमा की समाप्ति की तारीख से पूर्व और उसके बाद एक मास बढ़ाकर एक वर्ष करने की बात कही गई है तथा परिवहन अनुज्ञप्तियों के नवीकरण की अवधि को तीन वर्ष बढ़ाकर पांच वर्ष करने की बात कही गई है।
मोटर यान संशोधन विधेयक 2019 लोक सभा में पेश किए जाने का विरोध किया एआईटीसी और आईएनसी ने#लोकसभामेंआज pic.twitter.com/LxA0CM2y7F
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) July 15, 2019
अन्य न्यूज़